पिथौरागढ़ : शिक्षकों की मांग को लेकर सैणरांथी में तीन गांवों के ग्रामीणों की भूख हड़ताल को लेकर प्रशासन और शिक्षा विभाग तीसरे दिन ही हरकत में आ गए। रविवार के दिन जिला शिक्षाधिकारी माध्यमिक राइंका सैणरांथी में दो प्रवक्ताओं और एक सहायक अध्यापक की नियुक्ति पत्र लेकर पहुंचे। विधायक हरीश धामी की पहल पर ग्रामीणों ने अपना अनशन समाप्त करने का निर्णय लिया।
सैणरांथी में राइंका में शिक्षकों की तैनाती सहित अन्य मांगों को लेकर तीन गांवों के ग्रामीणों ने तीन दिन पूर्व से सैणरांथी में आमरण अनशन प्रांरभ कर दिया था। जिसमें 86 वर्ष के वृद्ध भी आमरण अनशन पर बैठे। अनशन पर बैठे दो वृद्धों की हालत गंभीर हो गई थी। जिसे लेकर ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ गया था। सोमवार को तीन गांवों के समस्त ग्रामीण जिला मुख्यालय कूच करने वाले थे।
जिला मुख्यालय में डीएम कार्यालय के सम्मुख अनशन पर बैठने वाले थे। ग्रामीणों की इस धमकी को लेकर प्रशासन हरकत में आ गया। शनिवार की रात्रि को ही शिक्षा विभाग ने राइंका सैणरांथी में दो प्रवक्ताओं और एक सहायक अध्यापक की तैनाती कर दी। इसके आदेश पत्र लेकर रविवार की सुबह जिला मुख्यालय से जिला शिक्षाधिकारी माध्यमिक एके गुसांई 115 किमी का सफर तय कर सैणरांथी पहुंचे। विधायक हरीश धामी भी सुबह सैंणरांथी पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों से बात की और उनके आंदोलन को उचित बताया।
विधायक द्वारा समझाए जाने के बाद ग्रामीण शांत हुए। डीईओ माध्यमिक ने दो प्रवक्ताओं और एक सहायक अध्यापक के तैनाती आदेश दिए और सीईओ की तरफ से 2020 से सैणरांथी राइंका में विज्ञान वर्ग की कक्षाएं संचालित करने का लिखित आश्वासन पत्र दिया। तब जाकर ग्रामीणों ने आमरण अनशन समाप्त करने का निर्णय लिया। इस मौके पर विधायक के प्रयास की भी सराहना की गई।
बाद में विधायक हरीश धामी ने तीन दिन से आमरण अनशन पर बैठे 86 वर्षीय वृद्ध महेंद्र सिंह को जूस पिला कर अनशन तोड़ा। इस मौके पर डीईओ, भाजपा नेता जगत मर्तोलिया आदि ने अनशनकारियों को जूस पिलाया। तीनों गांवों के ग्रामीणों ने आश्वासन के अनुसार सोमवार को विद्यालय में प्रवक्ताओं और सहायक अध्यापक के नहीं आने पर फिर से आंदोलन का बिगुल बजाने का एलान किया। साथ ही विधायक हरीश धामी का आभार जताया।
नेताओं में आंदोलन का श्रेय लेने की होड़ः अनशन स्थल पर आंदोलन की समाप्ति के दौरान हुई भाषणबाजी में भाजपा बनाम कांग्रेस होता नजर आया। इस दौरान नेताओं में आंदोलन का श्रेय लेने की होड़ भी लगी रही। जिस पर ग्रामीणों ने नाराजगी जताई। ग्रामीणों का कहना था कि उन्हें किसी दल विशेष से कोई लेना-देना नहीं है। उनकी लड़ाई व्यवस्था से है। बीते दिनों होकरा के आंदोलन के सात दिन खींचने के बाद सैंणरांथी के आंदोलन को लेकर प्रशासन परेशान था।