सरकार एक ऐसे मामले की जांच की मांग कर रही है जिसमें आरोप लगे हैं कि एक उद्धव ठाकरे और उनके परिवार की संपत्ति उनकी आय से अधिक है। बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक जनहित याचिका खारिज कर दी, जिसमें महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके परिवार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में जांच की मांग की गयी। शहर निवासी गौरी भिड़े की जनहित याचिका में मांग की गयी कि पूर्व मुख्यमंत्री और उनके परिवार के खिलाफ संपूर्ण और निष्पक्ष जांच के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को निर्देश दिया जाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लड़ाई से प्रभावित हुई हैं
स्वयं को ‘गंभीर और सतर्क’ नागरिक बताते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि वह भारत सरकार की आय से अधिक संपत्ति का पता लगाने में मदद करना चाहती हैं। न्यायमूर्ति धीरज ठाकुर और न्यायमूर्ति वाल्मीकि मेनेजिस की खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में कहा गया कि भिड़े भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लड़ाई से प्रभावित हुई हैं और उन्होंने दावा किया कि उनके पास यह दिखाने के लिए सबूत हैं कि ठाकरे परिवार ने अवैध तरीके से संपत्ति जमा की है।
धारणाओं के आधार पर जनहित याचिका दायर की गयी है
इसमें दावा किया गया कि उद्धव ठाकरे और उनके परिवार ने कभी अपनी आय के आधिकारिक स्रोत के रूप में किसी सेवा, पेशे या व्यापार का खुलासा नहीं किया है। ठाकरे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आस्पी चिनॉय और अशोक मुंदरगी ने दलील दी कि धारणाओं के आधार पर जनहित याचिका दायर की गयी है और इसमें कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है।