प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिखों के पहले गुरु नानक देव के 552वें प्रकाश पर्व के अवसर पर गुजरात के कच्छ स्थित लखपत साहिब गुरुद्वारे में आयोजित गुरु पर्व समारोहों को संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि करतारपुर कॉरिडोर का दशकों पुराना इंतजार हमने खत्म किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस साल (2021) हम गुरु तेग बहादुर जी के प्रकाश उत्सव के 400 वर्ष मना रहे हैं, आपने देखा होगा कि हम अफगानिस्तान से गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतियां लाने में सफल रहे। कुछ महीने पहले जब मैं अमेरिका गया था, तो वहां अमेरिका ने भारत को 150 से ज्यादा ऐतिहासिक वस्तुएं लौटाईं।
उन्होंने कहा, गुरुद्वारा लखपत साहिब समय की हर गति का साक्षी रहा है। मुझे याद आ रहा है कि लखपत साहिब ने कैसे-कैसे झंझावातों को देखा है। एक समय यह स्थान दूसरे देशों में जाने और व्यापार के लिए प्रमुख स्थान होता था। पीएम ने कहा, 2001 के भूकंप के बाद मुझे गुरु कृपा से इस पवित्र स्थान की सेवा करने का मौका मिला था। उस समय देश के हर हिस्सों से आए शिल्पियों ने इस स्थान के गौरव को संरक्षित किया। प्राचीन लेखन शैली से यहां की दीवारों पर गुरूवाणी अंकित की गई। इस प्रोजेक्ट को तब UNESCO ने सम्मानित भी किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा, 998 के समुद्री तुफ़ान से इस जगह को, गुरुद्वारा लखपत साहिब को काफ़ी नुकसान हुआ और 2001 के भूकंप को गुरुद्वारा साहिब की 200 साल पुरानी इमारत को बड़ी क्षति पहुंचाई थी। लेकिन फिर भी गुरुद्वारा लखपत साहिब उसी गौरव के साथ खड़ा है।
भारत की अखंडता के पीछे सिख गुरुओं की महान तपस्या
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे गुरुओं का योगदान केवल समाज और आध्यात्म तक ही सीमित नहीं है। बल्कि हमारा राष्ट्र, राष्ट्र का चिंतन, राष्ट्र की आस्था और अखंडता अगर आज सुरक्षित है, तो उसके भी मूल में सिख गुरुओं की महान तपस्या है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि कोई भी देश की एकता को नुकसान न पहुंचा सके।
गुरुगोबिन्द सिंह साहिब का जीवन बलिदान का एक जीता जागता उदाहरण प्रधानमंत्री ने कहा कि औरंगज़ेब के खिलाफ गुरु तेग बहादुर का पराक्रम और उनका बलिदान हमें सिखाता है कि आतंक और मजहबी कट्टरता से देश कैसे लड़ता है। इसी तरह दशम गुरु, गुरुगोबिन्द सिंह साहिब का जीवन भी पग-पग पर तप और बलिदान का एक जीता जागता उदाहरण है। अंग्रेजों के शासन में भी हमारे सिख भाइयों बहनों ने जिस वीरता के साथ देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया, हमारा आज़ादी का संग्राम, जलियांवाला बाग की वो धरती, आज भी उन बलिदानों की साक्षी है।