प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश और मध्य प्रदेश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में 150 करोड़ रुपये की लागत से बने बायो-सीएनजी संयंत्र ‘गोबर-धन’ का शनिवार को लोकार्पण किया। पीएम ने कहा, पर्यावरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए देश के अन्य 75 बड़े नगरीय निकायों में भी ऐसी इकाइयां बनाने पर काम जारी है। इंदौर के ‘गोबर-धन’ संयंत्र को प्रदेश सरकार द्वारा शहरी क्षेत्र से निकलने वाले गीले कचरे से बायो-सीएनजी बनाने की एशिया की सबसे बड़ी इकाई बताया जा रहा है। मोदी लोकार्पण समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंस से शामिल हुए और उन्होंने इंदौर नगर निगम के देवगुराड़िया ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 15 एकड़ में फैले बायो-सीएनजी संयंत्र को रिमोट का बटन दबाकर लोकार्पित किया।
गांवों में भी हजारों ‘गोबर-धन’ बायो गैस संयंत्र लगाए जा रहे हैं : पीएम
प्रधानमंत्री ने कहा हमें इस अभियान से शहरों को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाने के साथ ही स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में भी काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, शहरी घरों से निकलने वाला गीला कचरा हो या गांवों में पशुओं और खेतों का अपशिष्ट, यह सब एक तरह से गोबर धन ही है। कचरे से गोबर धन, गोबर धन से स्वच्छ ईंधन, स्वच्छ ईंधन से ऊर्जा धन, यह श्रृंखला जीवन धन का निर्माण करती है। उन्होंने कहा, देश के गांवों में भी हजारों ‘गोबर-धन’ बायो गैस संयंत्र लगाए जा रहे हैं जिनसे पशुपालकों को अतिरिक्त आमदनी हो रही है। मोदी ने जोर देकर कहा कि गीले कचरे और गोबर से हरित ईंधन बनाने के जारी प्रयास पर्यावरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने में मदद करेंगे।
शहर में सिटी बस चलाने में किया जायेगा इस्तेमाल : पीएम मोदी
पीएम मोदी ने बताया कि इंदौर का ‘गोबर-धन’ संयंत्र हर दिन 550 टन गीले कचरे (फल-सब्जियों और कच्चे मांस का अपशिष्ट, बचा या बासी भोजन, पेड़-पौधों की हरी पत्तियों, ताजा फूलों का कचरा आदि) से 17 हजार से 18 हजार किलोग्राम बायो-सीएनजी बना सकता है और इस ईंधन का एक हिस्सा शहर में 400 सिटी बसें (शहरी लोक परिवहन वाहन) चलाने में इस्तेमाल किया जा सकेगा। उन्होंने कहा इस संयंत्र से सैकड़ों युवाओं को ग्रीन जॉब (पर्यावरण हितैषी रोजगार) मिलेगा। पीएम ने बताया कि इंदौर के बायो-सीएनजी संयंत्र से हर रोज 100 टन जैविक खाद भी निकलेगी जिसके इस्तेमाल से धरती की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। अधिकारियों के मुताबिक बायो-सीएनजी संयंत्र में इंदौर नगर निगम के खजाने से कोई पूंजी नहीं लगाई गई है, बल्कि इसे गीला कचरा मुहैया कराने के बदले निजी कंपनी की ओर से शहरी निकाय को हर साल 2.5 करोड़ रुपये का प्रीमियम प्रदान किया जाएगा।
हर रोज निकलता है 400 टन सूखा और 700 टन गीला कचरा : अधिकारी
अधिकारियों ने करार के हवाले से बताया कि निजी कम्पनी द्वारा शहरी निकाय को संयंत्र से बेची जाने वाली बायो-सीएनजी का दाम सामान्य सीएनजी की प्रचलित बाजार दर से पांच रुपये प्रति किलोग्राम कम रखा जायेगा। अधिकारियों ने बताया कि 35 लाख की आबादी वाले इंदौर में हर रोज औसतन 700 टन गीला कचरा व 400 टन सूखा कचरा निकलता है और दोनों तरह के अपशिष्ट के सुरक्षित निपटान की अलग-अलग सुविधाएं विकसित की गई हैं। अधिकारियों के मुताबिक इंदौर का स्वच्छता मॉडल 3 आर (रिड्यूज, रीयूज और रीसाइकिल) के सूत्र पर आधारित है जिसकी बदौलत यह शहर केंद्र सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण में लगातार पांच सालों से देश भर में अव्वल बना हुआ है।