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सिर्फ पर्यटन नहीं, मास्टर प्लान में बद्रीनाथ का पौराणिक,आध्यात्मिक महत्व भी बना रहे :प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि श्री बद्रीनाथ धाम के मास्टर प्लान में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि वहां का पौराणिक एवं आध्यात्मिक महत्व बना रहे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि श्री बद्रीनाथ धाम के मास्टर प्लान में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि वहां का पौराणिक एवं आध्यात्मिक महत्व बना रहे। वीडियो कांफ्रेंस के जरिए उत्तराखंड सरकार द्वारा बद्रीनाथ के सौंदर्यीकरण एवं श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं में विस्तार हेतु बनाए गए 424 करोड़ रुपये के मास्टर प्लान के प्रस्तुतिकरण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बद्रीनाथ को लघु, स्मार्ट और आध्यात्मिक शहर के रूप में विकसित किया जाए। 
यहां जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा कि बद्रीनाथ के मास्टरप्लान का स्वरूप पर्यटन पर आधारित न हो बल्कि पूर्ण रूप से आध्यात्मिक हो। मोदी ने मास्टर प्लान में निकटवर्ती अन्य आध्यात्मिक स्थलों को भी जोडने तथा गृहनिवास (होम स्टे) विकसित करने के भी निर्देश दिए। 
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि बद्रीनाथ धाम के प्रवेश स्थल पर विशेष प्रकाश की व्यवस्था हो जो आध्यात्मिक वातावरण के अनुरूप हो। प्रस्तुतिकरण के अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, मुख्य सचिव ओमप्रकाश तथा पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर मौजूद थे। 
बद्रीनाथ के सौंदर्यीकरण का मास्टर प्लान प्रधानमंत्री के निर्देश पर केदारपुरी पुननिर्माण योजना की तर्ज पर बनाया गया है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों की भी समीक्षा की। केदारनाथ में चल रही परियोजनाओं की प्रगति की प्रधानमंत्री मोदी व्यक्तिगत तौर पर निगरानी कर रहे हैं। 
मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि बद्रीनाथ धाम व केदारनाथ धाम के विकास कार्यों में स्थानीय लोगों का सहयोग मिल रहा है और निकटवर्ती गांवों में होम स्टे पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरस्वती व अलकनंदा के संगम स्थल केशवप्रयाग को भी विकसित किया जा सकता है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ धाम में व्यास व गणेश गुफा का विशेष महत्व है जिनके पौराणिक महत्व की जानकारी भी श्रद्धालुओं को मिलनी चाहिए। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि बद्रीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर काम करने में भूमि की समस्या नहीं होगी और केदारनाथ की तरह बद्रीनाथ में भी 12 महीने कार्य किए जाएंगे। 
पर्वतीय परिवेश के अनुकूल बनाए गये इस मास्टर प्लान में बद्रीनाथ में 85 हेक्टेयर क्षेत्र लिया गया है जिसमें देवदर्शिनी स्थल विकसित किया जाएगा तथा एक संग्रहालय व कला विथिका (आर्ट गैलेरी) भी बनाई जाएगी। इसके अलावा, दृश्य एवं श्रव्य माध्यम से दशावतार के बारे में जानकारी दी जाएगी। मास्टर प्लान को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 
बद्रीनाथ धाम में तीन चरणों में विकास कार्य होने है। पहले चरण के तहत शेष नेत्र झील तथा बद्रीश झील का सौन्दर्यीकरण, दूसरे चरण के तहत मुख्य मंदिर एवं उसके आसपास के क्षेत्र का सौन्दर्यीकरण तथा अंतिम चरण में मंदिर से शेष नेत्र झील को जोड़ने वाले पथ का निर्माण कार्य प्रस्तावित है। 
धाम में तालाबों के सौन्दर्यीकरण, सड़कों की व्यवस्था, भीड़ प्रबंधन, मंदिर एवं घाट का सौन्दर्यीकरण, बद्रीश वन, पार्किंग सुविधा, सड़क एवं रिवर फ्रंट विकास आदि निर्माण कार्य मास्टर प्लान के तहत चरणबद्व ढंग से प्रस्तावित किए गए हैं।

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