मुंबई की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने शुक्रवार को गैंगस्टर इकबाल मिर्ची के दो पुत्रों और पत्नी को धनशोधन के एक मामले में भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया। गौरतलब है कि इकबाल मिर्ची की 2013 में मृत्यु हो गई थी। प्रवर्तन निदेशालय ने गत वर्ष दिसम्बर में भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम 2018 की धारा 12 और धारा चार 4 के तहत एक अर्जी दी थी, जिसमें अदालत से जुनैद इकबाल मेमन और आसिफ इकबाल मेमन (मिर्ची के बेटों) और हाजरा मेमन (पत्नी) को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने का अनुरोध किया गया था।
विशेष अदालत ने अर्जी स्वीकार कर ली और प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश दिया कि वह कानून की निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने के बाद भारत और विदेशों में उनकी संपत्तियां जब्त कर ले। ईडी ने मिर्ची, उसके परिवार और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ मुंबई पुलिस की कई प्राथमिकियों का अध्ययन करने के बाद गत वर्ष धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था। एजेंसी के अनुसार, मिर्ची का ‘‘मुंबई और उसके आसपास विभिन्न संपत्तियों का परोक्ष रूप से स्वामित्व है।’’ ईडी ने मिर्ची और अन्य के खिलाफ मुंबई में महंगी अचल संपत्तियों की खरीद और बिक्री में कथित अवैध लेन-देन से जुड़े धनशोधन के आरोपों की जांच के लिए एक आपराधिक मामला दायर किया।
इस मामले में एजेंसी द्वारा अब तक लगभग 798 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई है। ईडी द्वारा उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किए जाने के बाद मिर्ची के तीन परिजनों के खिलाफ एक गैर-जमानती वारंट भी जारी किया गया है। बताया जाता है कि तीनों विदेश में हैं और वे ईडी के समन और अदालत द्वारा जारी वारंट से बचते रहे हैं। एफईओ अधिनियम के तहत किसी व्यक्ति को तब भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया जा सकता है यदि उसके खिलाफ 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक की राशि के अपराध के लिए वारंट जारी किया गया हो और वह देश छोड़कर चला गया है और वापस आने से इनकार करे।