मुंबई की एक अदालत ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के बाहर विस्फोटक सामग्री के साथ एसयूवी मिलने और इसके बाद ठाणे के कारोबारी मनसुख हिरन की मौत होने के मामले में शुक्रवार को पुलिस अधिकारी रियाज काजी को 23 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे के सहयोगी रहे काजी को 11 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। काजी को शुक्रवार तक एनआईए की हिरासत में रखा गया और इसकी अवधि समाप्त होने के बाद उन्हें एक अवकाशकालीन अदालत में पेश किया गया।
एनआईए ने काजी की हिरासत की अवधि बढ़ाए जाने का अनुरोध नहीं किया, जिसके बाद अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। एनआईए ने आरोप लगाया है कि मुख्य आरोपी वाजे के साथ काजी भी इस मामले में शामिल हैं। उसने आरोप लगाया कि काजी सबूत नष्ट करने में शामिल हैं।
जांच एजेंसी ने पहले कहा था कि एनआईए ने 25 फरवरी को विस्फोटक सामग्री रखा हुआ वाहन मिलने के तुरंत बाद एक समानांतर जांच शुरू की थी और उसने पाया कि आरोपियों ने हिरन को कथित रूप से मार दिया ताकि वह उनके षड्यंत्र का खुलासा न कर पाए। एसयूवी हिरन की थी। उसने कहा था कि एनआईए को मामला हस्तांतरित किए जाने के बाद से आरोपियों ने सीपीयू और डीवीआर जैसे सबूत नष्ट करने शुरू कर दिए थे।
अंबानी के घर के बाहर एसयूवी मिलने के बाद पांच मार्च को ठाणे में हिरन का शव मिला था। इस एसयूवी से विस्फोटक बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री बरामद की गई थी। एनआईए ने इस मामले की जांच के संबंध में वाजे को 13 मार्च को गिरफ्तार किया था। जांच एजेंसी ने पूर्व पुलिसकर्मी विनायक शिंदे और क्रिकेट सटोरिए नरेश गोर को भी गिरफ्तार किया था। वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।