देहरादून : हाईकोर्ट और एनजीटी की सख्ती के बावजूद पॉलीथिन के उपयोग में रोक लगती नजर नहीं आ रही है। प्रदेशभर में धड़ल्ले से प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है। गंगा घाटों पर तो पॉलीथिन बैन होने के बावजूद भी इसे उपयोग में लाया जा रहा है। इसके बढ़ते इस्तेमाल को रोकने के लिए अब उत्तराखंड सरकार ने बड़ा कदम उठाने जा रही है। इसकी जानकारी खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने ट्विट कर साझा की है। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से पॉलीथिन का प्रयोग न करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि पॉलीथिन के प्रयोग से हमारा पर्यावरण तो प्रदूषित होता ही है, साथ ही, कृषि, पशु एवं पक्षियों को भी बहुत हानि पहुंचती है।
गंगा तटों पर पॉलीथिन बंद हो
मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री ने प्रदेश की जनता से प्रदेश को स्वच्छ रखने एवं पॉलीथिन का प्रयोग न करने की अपील करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा 1 अगस्त 2018 से पॉलीथिन के प्रयोग पर सख्ती करने का निर्णय लिया गया है, ताकि प्रदेश को स्वच्छ एवं निर्मल बनाया जा सके। पॉलीथिन प्रयोग करने पर दुकानदारों पर 5000 रुपए, ठेली वालों पर 2000 रुपए व ग्राहकों पर 500 रुपए तक का जुर्माना लगेगा। उन्होंने आगे उत्तराखंड की जनता से अपील करते हुए कहा कि पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पॉलिथीन का प्रयोग बंद कर दें और इस मुहिम में अपना सहयोग दें।
उधर दूसरी तरफ हरिद्वार में मुख्यमंत्री के एक अगस्त से प्रदेश में पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाए जाने के ऐलान के बाद जिला प्रशासन के निशाने पर पॉलीथिन बेचने वाले बड़े कारोबारी आ गए हैं। जिलाधिकारी दीपक रावत ने पॉलीथिन के बड़े कारोबारियों पर नकेल कसने के लिए जिलास्तरीय अधिकारियों को महीने में कम से कम पांच बारे छापेमारी के निर्देश दिए हैं। साथ ही, इस संबंध में रिपोर्ट भी मांगी है। उत्तर प्रदेश, दिल्ली का समीपवर्ती जिला होने के चलते हरिद्वार में स्थानीय कारोबारियों के अलावा बड़े पैमाने पर सीमा से लगे जिलों से भी पॉलीथिन की सप्लाई होती है। हरकी पैड़ी व अन्य गंगा घाटों से लेकर पीठ बाजारों, ज्वालापुर, कनखल, बहादराबाद, रुड़की के चाव मंडी आदि क्षेत्रों में पॉलीथिन के गोदाम भी हैं। इन पर नकेल कसने के लिए डीएम ने कई बारे छापेमारी भी की थी।
केदारनाथ में पॉलीथिन पर पूर्ण प्रतिबंध
– सुनील तलवाड़