लोकसभा चुनाव के लिए असम में असम गण परिषद (एजीपी) के फिर से भाजपा के साथ गठबंधन करने पर एजीपी के नेता व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल कुमार महंत ने नाखुशी जताई है और कहा कि पार्टी ने इस संबंध में उनसे सलाह नहीं ली। महंत ने नगांव में संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे इस बारे में नहीं पता था। मुझे मीडिया के जरिए आज सुबह पार्टी के इस फैसले के बारे में पता चला।’ महंत ने कहा, ‘आम तौर पर इस तरह के बड़े फैसलों पर पार्टी के जनरल हाउस में चर्चा होती है।
लेकिन, ऐसा नहीं किया गया। मेरा अभी भी मानना है कि असम को एक मजबूत क्षेत्रीय पार्टी की जरूरत है और एजीपी को लोकसभा चुनाव अकेले लड़ना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘मैं भाजपा के साथ इस गठबंधन के खिलाफ हूं और अपने रुख पर कायम हूं। इस समय मेरे लिए इस पर टिप्पणी मुश्किल है कि एजीपी नेतृत्व ने यह फैसला क्यों लिया। पार्टी नेताओं ने फैसला खुद लिया है।
अब हमें पता लगाना है कि हमारी जिला समितियां और जमीनी कार्यकर्ता क्या चाहते हैं।’ एजीपी के अध्यक्ष अतुल बोरा और केशब महंत सहित पार्टी नेताओं ने मंगलवार रात भाजपा महासचिव राम माधव से मुलाकात की और ऐलान किया कि दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, गठबंधन द्वारा अभी आधिकारिक रूप से लोकसभा चुनावों के लिए अपनी सीट साझा करने की व्यवस्था की घोषणा करनी बाकी है लेकिन यह पता चला है कि भाजपा ने धुबरी, बारपेटा और कलियाबोर सीटों को एजीपी को देने का फैसला किया है, जबकि एजीपी अन्य सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों का समर्थन करेगी।
एजीपी नेताओं अतुल बोरा, केशब महंत और फणीभूषण चौधरी ने बुधवार सुबह असम के मुख्यमंत्री सबार्नंद सोनोवाल से भी मुलाकात की और मंत्रियों के रूप में उनके इस्तीफों को वापस लिए जाने की संभावना है। तीनों ने नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 पर भाजपा के साथ मतभेद होने के बाद एजीपी के भाजपा गठबंधन से अलग होने के बाद जनवरी में इस्तीफा दे दिया था।