पटना : लोकसभा चुनाव की आहट से बिहार में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है। सभी दल के नेताओं ने अपनी अपनी नफा-नुकसान को देखते हुए सभी सीटों पर विचार मंथन शुरू कर दिया है। वहीं एनडीए एवं महागठबंधन के नेताओं ने जनता के मन-मिजाज एवं जातीय समीकरण के हिसाब से तालमेल करना शुरू कर दिया है। फिलहाल एनडीए में जदयू के आ जाने से सीटों की बंटवारे में कठिनाईयों का सामना कर ना पड़ रहा है। क्योंकि एनडीए में पहले से भाजपा, लोजपा एवं रालोसपा 32 सीटों पर काबिज हैं। शेष आठ सीट बच रहे हैं। वैसी स्थिति में जदयू के एनडीए का घटक बन जाने से उहापोह की स्थिति बन गयी है।
जदयू 17 सीटों पर चुनाव लडऩा चाह रहा है। उधर, भाजपा सह मात के आधार पर एक दो सीटों पर समझौता कर जदयू को दस सीटें दे सकती है। लेकिन जदयू 17 से कम सीट किसी भी सूरत में नहीं चाहती, ऐसे में क्यास लगाये जा रहे हैं कि दस से ज्यादा सीट जदयू खाते में नहीं मिला तो वे एनडीए से अलग होकर कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ सकते हैं। वैसे में महागठबंधन में राजद वाम मोर्चा के साथ मजबूत गठबंधन हो सकती है। अगर नीतीश कुमार एनडीए में सम्मानजक सीट मिल गयी तो एनडीए से उपेन्द्र कुशवाहा अलग होकर खीर बनाने में सफल हो सकते हैं। तब बिहार में कांग्रेस, राजद, रालोसपा सहित वाम मोर्चा का एक साथ चुनाव लडऩा तय माना जा रहा है। जब तक राज्य में सीट बंटवारा नहीं हो जाता तब तक उहा-पोह की स्थिति बनी रहेगी।
सूत्रों के अनुसार भाजपा जदयू और लोजपा के साथ सीटों की अदला-बदली चाहती है वहीं भाजपा नेताओं का तर्क है कि उन सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी जहां पहले से सीट है। जहां से भाजपा उम्मीदवार पहले से जीतते आ रहे हैं जैसे रामविलास पासवान का सीट हाजीपुर, पुत्र चिराग पासवान का जमुई, उनके भाई रामचन्द्र पासवान समस्तीपुर से जीतते आ रहे है वहां भाजपा चाहती है कि अन्य तीन सीट मुंगेर खगडिय़ा और वैशाली का अदला-बदली कर ले और लोजपा सुप्रीमो इसके लिए तैयार नहीं बताये जा रहे हैं। बताया जाता है कि केन्द्रीय राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा भाजपा और जदयू को बॉय-बॉय करने को तैयार हैं।
देश में तीन जगह विधानसभा उपचुनाव हो रहा है राजस्थान, छतीसगढ़ और मध्य प्रदेश इन तीनों जगह चुनाव का नतीजा देखने के बाद कोई ऐलान कर सकते हैं कि अगला रथ क्या होगा? हालांकी नीतीश कुमार दिल्ली आये थे लेकिन अमित शाह से उनकी मुलाकात भी हुई लेकिन उसकी भनक किसी को नहीं हुई। 12 साल से नीतीश कुमार दिल्ली के एम्स में फूल बॉडी का चेकअप करवा रहे है। मेडिकल जांच के बाद नीतीश कुमार उत्साहजनक हैं। दूसरी ओर मुख्यमंत्री अगर कांग्रेस की ओर रूख करते हैं तो नीतीश कुमार की भी प्रधानमंत्री की दावेदारी फीट बैठ सकता है।