मद्रास उच्च न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन को छुट्टी की याचिका पर बहस करने के लिए पांच जुलाई को अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होने की मंगलवार को अनुमति दे दी। नलिनी ने अपनी बेटी की शादी के इंतजाम करने के लिए छह माह की सामान्य छुट्टी मांगी है।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एम निर्मल कुमार की खंडपीठ ने नलिनी को अपनी याचिका पर बहस करने के लिए पांच जुलाई को दोपहर सवा दो बजे व्यक्तिगत रूप से पेश होने की अनुमति दी। करीब 27 साल से जेल में बंद नलिनी ने अदालत से वेल्लोर में महिलाओं के विशेष कारागार के पुलिस अधीक्षक को उसे अदालत के समक्ष पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था ताकि वह व्यक्तिगत रूप से अपना पक्ष रख सके।
अदालत ने 11 जून को गौर किया कि याचिका पर बहस करने के लिए व्यक्तिगत रूप से पेश होने के नलिनी के अधिकार से इनकार नहीं किया जा सकता। नलिनी के मुताबिक उम्रकैद की सजा पाने वाला व्यक्ति दो साल में एक बार एक महीने की छुट्टी पाने का हकदार होता है और चूंकि उसने 27 साल से भी अधिक समय से ऐसी सामान्य छुट्टी नहीं ली है, इसलिए उसने 25 फरवरी को जेल के अधिकारियों से छह माह की छुट्टी देने का निवेदन किया था ताकि वह अपनी बेटी की शादी के लिए इंतजाम कर सके। इसके बाद नलिनी की मां ने भी 22 मार्च को इसी प्रकार का निवेदन किया था।
अधिकारियों ने उनके निवेदन पर विचार नहीं किया जिसके बाद नलिनी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। राजीव गांधी हत्याकांड में नलिनी को शुरू में मौत की सजा सुनाई गई थी लेकिन बाद में तमिलनाडु सरकार ने 24 अप्रैल 2000 को उसकी सजा उम्र कैद में बदल दी थी। नलिनी ने दावा किया है कि उसकी मौत की सजा को उम्र कैद तब्दील किये जाने के बाद से उम्र कैद की सजा पाये ऐसे करीब 3,700 कैदियों को तमिलनाडु सरकार रिहा कर चुकी है जो दस साल या इससे कम समय जेल मे गुजार चुके हैं।