केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने मंगलवार को आईआईटी बॉम्बे द्वारा नई शिक्षा नीति (NEP) पर आयोजित एक वर्कशॉप का उद्घाटन किया। इस दौरान अपने संबोधन में निशंक ने कहा, एनईपी ‘कैरेक्टर बिल्डिंग’ से लेकर ‘नेशन बिल्डिंग’ तक भारतीय मूल्यों पर आधारित है जिसमें इंडियन, इंटरनेशनल, इंपैक्टफुल, इंटरएक्टिव और इन्क्लूसिविटी जैसे तत्वों शामिल हैं और इस नीति में हर भारतीय की आकांक्षाएं, स्वप्न और एक दूरगामी सोच है जो भारत को विश्व पटल पर ‘ज्ञान की महाशक्ति’ के रूप में स्थापित करेगी।
उन्होंने कहा, प्रतिवर्ष हम 11 नवंबर को हमारे देश के प्रसिद्ध शिक्षाविद एवं प्रथम शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद के जन्म दिवस को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रुप में मनाते हैं और मुझे खुशी है कि आईआईटी बॉम्बे ने राष्ट्रीय शिक्षा दिवस को ध्यान में रखकर आज नई शिक्षा नीति के ऊपर कार्यशाला आयोजित की है।
उन्होनें कहा कि हम अपनी नई शिक्षा नीति में ‘जय अनुसंधान’ की सोच के साथ ज्ञान-विज्ञान-अनुसंधान के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करने हेतु एक दृढ़ संकल्प लेकर आगे बढ़ रहे हैं और मुझे बेहद खुशी है कि यह संस्थान भी इसी सोच के साथ शोध तथा नवाचार के क्षेत्र में पूरे समर्पण के साथ कार्यरत है और इसी का उदाहरण है कि आज यहां उत्कृष्ट अनुसंधानकर्ताओं को रिसर्च एक्सीलेंस अवार्ड का भी प्रदान किया जा रहा है।
निशंक ने आईआईटी बॉम्बे द्वारा आयोजित इस वर्कशॉप की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस वर्कशॉप के द्वारा इस नीति के क्रियान्वयन तथा उसके सफलतम उपयोग का मार्ग प्रशस्त होगा और इस नीति को लेकर एक सामूहिक समझ एवं जागरूकता की भावना भी पैदा होगी।
केंद्रीय मंत्री ने आईआईटी बॉम्बे की प्रगति पर खुशी व्यक्ति की और कहा कि हम ‘स्टडी इन इंडिया, स्टे इन इंडिया तथा शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण’ के माध्यम से भारत को शिक्षा के एक वैश्विक हब के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है और आईआईटी बॉम्बे मोनाश यूनिवर्सिटी (ऑस्ट्रेलिया), वाशिंगटन यूनिवर्सिटी (यूएसए), ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी (यूएसए) जैसे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ समझौते के माध्यम से विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों को आगे बढ़ कर हमारे इस मिशन को पूरा करने में मदद कर रहा है।
उन्होनें आईआईटी बॉम्बे द्वारा कोरोना संकट काल में किए गए कार्यों की भी प्रशंसा की और कहा कि आईआईटी मुंबई जैसे संस्थानों के योगदान से हम ना केवल ‘विश्व गुरु’ बनेंगे अपितु ‘5 ट्रिलियन इकॉनमी’ का हमारा महत्वाकांक्षी स्वप्न भी जल्द ही साकार होगा। .