नोटबंदी और जल्दबाजी में लागू किए गए माल एवं सेवाकर (जीएसटी) से मुद्रा ऋण योजना के तहत बांटे गए 11,000 करोड़ रुपये के ऋणों की वसूली प्रभावित हुई है। शिवसेना ने मंगलवार को अपने मुखपत्र के संपादकीय में यह बात कही।
शिवसेना ने कहा कि केंद्र सरकार की सूक्ष्म इकाई विकास एवं पुनर्वित्त एजेंसी (मुद्रा) योजना के तहत 4.81 करोड़ छोटे उद्यमियों को 2.46 लाख करोड़ रुपये का ऋण बांटा गया है। इसमें करीब 11,000 करोड़ रुपये का ऋण बकाया है जो एक गंभीर मसला है।
संपादकीय में दावा किया गया है, ”शुरुआती चरण में इन उद्यमियों को नोटबंदी और जल्दबाजी में लागू किए गए जीएसटी जैसे फैसलों का प्रभाव झेलना पड़ा। इससे ऋण वसूली प्रभावित हुई।” शिवसेना, केंद्र और राज्य में भाजपा के साथ सरकार का हिस्सा है।
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शिवसेना ने आरोप लगाया, ”लघु उद्योग क्षेत्र पिछले दो साल में धीमी पड़ी आर्थिक वृद्धि से भी प्रभावित हुआ है। यह बात आसानी से समझी जा सकती है कि मुद्रा योजना के तहत बकाया 11,000 रुपये का ऋण सरकार की कुछ नीतियों का परिणाम है।”
पार्टी ने कहा कि बकाया ऋण अंतत: आम आदमी पर बोझ बनता है। ऐसे में मुद्रा ऋण की धीमी वापसी पर भारतीय रिजर्व बैंक के चिंता व्यक्त किए जाने में कोई बुराई नहीं है। केंद्रीय बैंक को इस दिशा में कदम उठाने की जरूरत है।