पटना : नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि सरकारी आवास मामले में कोर्ट के निर्णय का पूर्ण सम्मान करता हॅू। सरकार के पक्षपात व द्वेषपूर्ण निर्णय के खिलाफ कोर्ट गया। जो नहीं जानते उनकी जानकारी के लिए बता दॅू नेता प्रतिपक्ष के नाते उसी श्रेणी के बंगले का अभी भी पात्र हॅू और अलॉट किया हुआ है लेकिन मेरी लड़ाई सरकार के मनमाने और ईष्र्यापूर्ण तरीके के खिलाफ थी। कानूनी दायरे में जो लड़ाई लडऩी थी हमने लड़ी है और अभी भी सरकार के अनैतिकए पक्षपातपूर्ण और मनमाने रवैये के खिलाफ लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ते रहेंगे।उन्होंने बताया कि मुझे आवंटित आवास नीतीश जी के सीएम और पूर्व सीएम की हैसियत से स्वयं आवंटित 6 बगलों को मिलाकर बनाए गए दो आवासों से सटा हुआ था और उन्हें यह गंवारा नहीं था कि हम उनके बगल में रहे। क्योंकि हमारा गेट 24 घंटों गरीब जनता के लिए खुला रहता है और नैतिक बाबू को वहां आने वाली भीड़ से नफरत है।
जनता से कटे हुए और जूते-चप्पल खाने वालों की यह नफरत स्वाभाविक भी है। मैं नैतिकता का ढोल पीटने वाले और जेएनयू के शोधार्थी की थेसिस चुराने के मामले में 20 हजार के जुर्माने से सजायाफ्ता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी से पूछना चाहता हॅूकि वो बताए कि 2005 में जब वो मुख्यमंत्री बने तब उन्हें जो मुख्यमंत्री आवास मिला उसका क्षेत्रफल क्या था? उसका बिल्ड-अप क्षेत्र क्या था और आज क्या है? उन्होंने 1, अणे मार्ग, मुख्यमंत्री निवास में अगल-बगल के कितने सरकारी आवास किन-किन बहानों से सम्मिलित किए है और क्यों किए है? पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से आवंटित 7, सर्कुलर रोड आवास में उन्होंने अब तक कितने बंगले सम्मिलित किए हैघ् जनता को बताए, जहां जिस आवास में जाते है उसके अगल-बगल के सरकारी आवासों पर कब्जा क्यों जमाते है? उन्होंने दिल्ली में टाइप-8 श्रेणी बंगला क्यों लिया हुआ है? उन्होंने दिल्ली स्थित बिहार भवन में स्थायी रूप से विशेष सीएम सूट क्यों कब्जा रखा है? जदयू के विधायकों और पूर्व मंत्रियों ने 10 बंगलों पर अवैध कब्जा क्यों जमाया हुआ है? खैर, आपने जो संसदीय लोकतंत्र में ईष्र्या और द्वेषपूर्ण परंपरा स्थापित की है उसके लिए आपको साधुवाद।