महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार और राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले की समीक्षा करने के लिए गुरुवार सुबह वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। हिंसा एक जनवरी 2018 को हुई थी। एक अधिकारी ने बताया कि मुंबई के राज्य सचिवालय में बैठक चल रही है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने 2018 के कोरेगांव भीमा मामले में पुणे पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के तहत एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित करने की पिछले साल दिसम्बर में मांग की थी। राकांपा के नेता देशमुख ने राज्य के गृह मंत्री पद का कार्यभार संभालने के बाद कहा था कि वह मामले पर स्थिति रिपोर्ट मांगेंगे और फिर उसके बाद निर्णय लेंगे।
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पुणे पुलिस ने 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद और इसके अगले दिन पुणे जिले के कोरेगांव भीमा में हुई जातीय झड़पों के बीच कथित संबंधों की जांच के दौरान ‘अर्बन नक्सल’ शब्द का इस्तेमाल किया था। पुणे नगर पुलिस ने मामले में कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था, जबकि उनके ग्रामीण समकक्षों (पुलिस) ने कथित तौर पर हिंसा भड़काने को लेकर हिंदुत्व नेता मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिडे़ के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
एकबोटे को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई जबकि भिडे़ को कभी गिरफ्तार नहीं किया गया। कोरेगांव भीमा युद्ध को एक जनवरी 2018 को दो सौ साल पूरे होने के मौके पर हिंसा भड़क उठी थी जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। पुलिस का दावा है कि उक्त हिंसा कोरेगांव भीमा में उससे एक दिन पहले एल्गार परिषद में भड़काऊ भाषणों के चलते हुई थी।