न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा ने सोमवार को झारखंड उच्च न्यायालय के 14वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वह न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी का स्थान लेंगे, जो सेवानिवृत्त हो रहे हैं। राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने यहां राजभवन में मिश्रा को पद की शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनके कैबिनेट सहयोगी, कई न्यायाधीश एवं सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा जारी नियुक्ति पत्र को पढ़ा। मुख्य न्यायाधीश मिश्रा ने कहा कि वह गरीबों को पारदर्शी तरीके से न्याय दिलाने के लिए काम करेंगे। शपथ ग्रहण के बाद न्यायमूर्ति मिश्रा ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा, ‘‘सरल, पारदर्शी न्याय मेरी प्राथमिकता होगी… पुराने मामलों को प्राथमिकता दी जाएगी।’’
आम तौर पर न्याय से वंचित रह जाते हैं
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के नए मुख्य न्यायाधीश को बधाई दी और विश्वास जताया कि वह राज्य के हाशिए के समुदायों को न्याय सुनिश्चित करेंगे। सोरेन ने मीडियाकर्मियों से कहा, ‘‘झारखंड जैसे पिछड़े राज्य में कई कानूनी मुद्दे हैं, मुझे विश्वास है कि न्यायमूर्ति मिश्रा बेहतर तरीके से इन मुद्दों का हल करेंगे और आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों एवं अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को न्याय दिलाएंगे जो आम तौर पर न्याय से वंचित रह जाते हैं…। मुझे उम्मीद है कि उनकी नियुक्ति से इन समुदाय के लोगों को राहत मिलेगी।’’
नियुक्ति के संबंध में अधिसूचना जारी की थी
झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पद 19 दिसंबर, 2022 को न्यायमूर्ति रवि रंजन की सेवानिवृत्ति के बाद से खाली था और न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने 17 फरवरी को न्यायमूर्ति मिश्रा की उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के संबंध में अधिसूचना जारी की थी। मिश्रा (61) इससे पहले उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। वह ओडिशा से हैं और 1987 में दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने बोलनगीर जिला अदालत में वकालत शुरू की।
न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया
उन्होंने जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सुंदरगढ़, ढेंकानाल, विशेष न्यायाधीश (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो – सीबीआई), भुवनेश्वर और उड़ीसा उच्च न्यायालय के महापंजीयक के रूप में कार्य किया। सात अक्टूबर, 2009 को उन्हें उड़ीस उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। उन्हें उत्तराखंड के उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उन्होंने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद का कार्यभार संभाला।