सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने बुधवार को केरल में सबरीमाला स्थित अयप्पा मंदिर में दो महिलाओं के प्रवेश करने का स्वागत किया और इसे ‘समानता की जीत’ करार दिया। देसाई इस मंदिर में प्रार्थना के लिए 16 नवंबर को छह अन्य महिलाओं के साथ सबरीमला पहुंची थीं लेकिन उन्हें कोच्चि हवाई अड्डे से ही लौटा दिया गया था।
भूमाता ब्रिगेड की संस्थापक तृप्ति देसाई ने भगवान अयप्पा के मंदिर में दो महिलाओं के प्रवेश कर जाने पर कहा, ‘‘यह हमारे आंदोलन के लिए एक बड़ी जीत है। यह समानता की जीत है। यह नये साल में महिलाओं के लिए अच्छी शुरूआत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘महिलाओं के प्रवेश का विरोध करने वालों ने चुनौती दी थी कि 10 साल से 50 साल तक की उम्र की कोई भी महिला सन्निधानम तक नहीं पहुंच पाएगी।
उनका आंदोलन अब विफल हो गया।’’ उन्होंने कहा कि मंदिर प्रशासन को सभी उम्र वर्ग की महिलाओं को अयप्पा मंदिर में प्रार्थना करने देना चाहिए। वह अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों और भीड़ के चलते 20 जनवरी से पहले इस मंदिर में नहीं जा पाएंगी। मंदिर 20 जनवरी को बंद हो जाएगा, लेकिन जब यह मंदिर फिर खुलेगा तो वह वहां जाएंगी।
काले कपड़े पहने और अपना सिर ढके हुए दो महिलाएं बुधवार को तड़के अयप्पा मंदिर में प्रविष्ट हुईं और उन्होंने वहां प्रार्थना की। इसकी पुष्टि करते हुए मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा, ‘‘यह एक तथ्य है कि महिलाएं मंदिर में दाखिल हो गयीं।’’ पिछले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मंदिर में 10 साल से 50 साल तक की उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दिये जाने के बाद भी श्रद्धालुओं और कुछ दक्षिणपंथी संगठनों के विरोध के चलते इस उम्रवर्ग की महिलाएं मंदिर में नहीं जा पायीं।