सुप्रीम कोर्ट ने मई 2022 के फैसले पर बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने मई 2022 के फैसले में कहा था कि गुजरात सरकार के पास उन 11 दोषियों के क्षमा आवेदनों को तय करने का अधिकार है, बता दें कि जिन्हें 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप और हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
बिलकिस बानो की अर्जी खारिज कर दी
सुप्रीम कोर्ट से बिलकिस बानो की रिव्यू पिटीशन खारिज होने के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष का बयान सामने आया है। DCW चीफ ने ट्वीट कर कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की अर्जी खारिज कर दी। बिलकिस बानो का 21 साल की उम्र में गैंगरेप किया गया, उसके 3 साल के बेटे और 6 परिवार वालों का क़त्ल कर दिया गया पर गुजरात सरकार ने उसके सभी रेपिस्ट को आज़ाद कर दिया। अगर सुप्रीम कोर्ट से भी न्याय नहीं मिलेगा, तो कहां जाएंगे?”
क्या है पूरा मामला?
गुजरात में 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान हुआ था। पांच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो, जो तब लगभग 19 साल की थी, अपने परिवार के सदस्यों के साथ दाहोद जिले के अपने गांव से भाग रही थी। जब वे छप्परवाड़ गांव बिलकिस के बाहरी इलाके में पहुंचे तो उनकी मां और तीन अन्य महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया और उनकी तीन साल की बेटी सहित उनके परिवार के 14 सदस्यों की हत्या कर दी गई। आरोपी व्यक्तियों के राजनीतिक प्रभाव और मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार जांच सीबीआई को सौंपी गई।