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त्रिपुरा हिंसा मामले में SC ने पत्रकारों को गिरफ्तारी से दी सुरक्षा, मामले में सरकार और पुलिस को जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एचडब्ल्यू नेटवर्क के तीन पत्रकारों द्वारा दायर एक याचिका पर त्रिपुरा सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किया है, जिनके खिलाफ राज्य में हालिया सांप्रदायिक हिंसा की उनकी खबरों के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

कोर्ट ने राज्य को 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने पत्रकारों के खिलाफ किसी भी तरह की जबरदस्ती और प्राथमिकी से जुड़ी किसी भी अन्य कार्यवाही पर सुनवाई की अगली तारीख तक रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने राज्य को 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

यह वास्तव में असहनीय है और उचित नहीं 

याचिकाकतार्ओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने पीठ के समक्ष दलील दी कि पत्रकार इस मुद्दे पर रिपोर्ट कर रहे थे और फिर प्राथमिकी दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को जमानत दे दी गई है, लेकिन फिर एक और प्राथमिकी दर्ज की गई। लूथरा ने कहा, "यह वास्तव में असहनीय है और उचित नहीं है।" याचिकाकतार्ओं ने प्राथमिकी को प्रेस को परेशान करने का प्रयास करार दिया और मामले को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

आरती घरगी ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत इस मामले में नोटिस जारी करेगी और प्राथमिकी की आगे की सभी कार्यवाही पर रोक रहेगी। पीठ ने कहा, "चार सप्ताह के भीतर काउंटर दायर किया जाए और त्रिपुरा के वकील को सेवा देने की स्वतंत्रता दी जाए।"मीडिया कंपनी थियोस कनेक्ट, डिजिटल न्यूज पोर्टल एचडब्ल्यू न्यूज नेटवर्क का संचालन करती है। इसके दो पत्रकार समृद्धि सकुनिया और स्वर्ण झा और इसकी सहयोगी संपादक आरती घरगी ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

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