तंबाकू उत्पादों के पैकेट पर 85 फीसदी हिस्से में दी जाने वाली चित्रात्मक चेतावनी के सरकार के नियमन को रद्द करने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय आज ही सुनवाई करेगा।
गौरतलब है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने तंबाकू उत्पाद के पैकेट पर 85 प्रतिशत स्थान चित्रात्मक चेतावनी को देने की अनिवार्यता के सरकारी नियम को रद्द कर दिया था। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तुरंत सुनवाई करने की सहमति जताते हुए कहा कि पीठ मामले को दोपहर साढ़ तीन बजे सुनेगी।
अदालत के फैसले को कई याचिकाओं में चुनौती दी गई है। चुनौती देने वालों में गैर सरकारी संगठन हेल्थ फॉर मिलियंस ट्रस्ट भी शामिल है। अदालत ने 15 दिसंबर के अपने फैसले में तंबाकू उत्पाद के पैकेट पर 85 प्रतिशत स्थान में चित्रात्मक चेतावनी देने की अनिवार्यता से जुड़े 2014 के संशोधित नियमों को खारिज करते हुए कहा कि यह नियम संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं।
हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया था कि नियमों में संशोधन से पहले पैकेट पर 40 प्रतिशत स्थान चित्रात्मक चेतावनी को देने की अनिवार्यता थी जो बरकरार रहेगी। सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (पैकेजिंग और लेबलिंग) संशोधन नियम, 2014 (सीओटीपीए) पिछले वर्ष एक अप्रैल से प्रभावी हुआ है।
पिछले वर्ष मई में उच्चतम न्यायालय ने इस 85 प्रतिशत स्थान की अनिवार्यता के विरोध में विभिन्न उच्च न्यायालयों में दायर याचिकाओं को कर्नाटक उच्च न्यायालय के पास भेज दिया था। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने फैसला में कहा था कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पास ऐसे नियम बनाने का कोई न्यायिक अधिकार नहीं है।
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