मध्य प्रदेश के सियासी संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस पार्टी को झटका देते हुए बागी विधायकों में से एक विधायक के भाई की याचिका पर बुधवार को सुनवाई से इंकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को उचित फोरम में जाने की इजाजत दी।
कांग्रेस विधायक मनोज चौधरी के भाई बलराम चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर मनोज को पेश करने और रिहा करने की मांग की है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं नौ अन्य विधायकों की याचिका पर कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा।
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याचिका में कहा गया था कि मनोज चौधरी को अवैध तरीके बेंगलूरू या कहीं और गैर कानूनी तरीके से रखा गया है। बलराम ने कोर्ट से गुजारिश की थी कि मनोज चौधरी को रिहा करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट दे। बलराम चौधरी ने ये भी कहा था कि साथ ही जिन अन्य विधायकों को गैर कानूनी तरीके से बंधक बनाकर रखा गया है उनको भी रिहा करने का आदेश दिया जाए।
बलराम ने सभी विधायकों को सुरक्षित मध्य प्रदेश लाने के इंतजाम करने की भी अपील की थी। याचिका में इन विधायकों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए सुरक्षा मांगी गई है।