सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में अति पिछड़े समुदाय (एमबीसी) वन्नियार को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में दिए गए 10.5 प्रतिशत आरक्षण को गुरुवार को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा, जिसने आरक्षण को रद्द कर दिया था। पीठ ने कहा, हमारी राय है कि वन्नियाकुल क्षत्रियों के साथ एमबीसी समूहों के बाकी के 115 समुदायों से अलग व्यवहार करने के लिए उन्हें एक समूह में वर्गीकृत करने का कोई ठोस आधार नहीं है और इसलिए 2021 का अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का उल्लंघन है।
हाई कोर्ट ने कहा था आरक्षण देने के लिए ऐ्सा कोई डेटा नहीं है
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि, एआईएडीएमके सरकार की ओर से वन्नियार समुदाय को दिए गए 10.5 फीसदी आरक्षण का कोई आधार नहीं बनता है। हाई कोर्ट की पीठ ने कहा था कि, यह आरक्षण देने के लिए ऐ्सा कोई डेटा नहीं है, जो यह साबित करता हो कि वन्नियार समुदाय अति पिछड़े वर्ग में हैं। हाई कोर्ट के आदेश के बाद तमिलनाडु सरकार ने और पीएमके ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
विधानसभा में हुआ था पारित
गौरतलब है कि तमिलनाडु विधानसभा ने पिछले साल फरवरी में वन्नियार समुदाय को 10.5 फीसदी आरक्षण देने के तत्कालीन सत्तारूढ़ अन्ना द्रमुक द्वारा पेश किए विधेयक को पारित कर दिया था। मौजूदा द्रमुक सरकार ने इसके क्रियान्वयन के लिए जुलाई 2021 में एक आदेश पारित किया। उसने एमबीसी को दिए कुल 20 प्रतिशत आरक्षण को विभाजित कर दिया था और जातियों को फिर से समूहों में बांटकर तीन अलग श्रेणियों में विभाजित किया तथा वन्नियार को 10 प्रतिशत उप-आरक्षण मुहैया कराया था। वन्नियार को पहले वन्नियाकुल क्षत्रिय के नाम से जाना जाता था।
हाई कोर्ट ने कहा था आरक्षण देने के लिए ऐ्सा कोई डेटा नहीं है
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि, एआईएडीएमके सरकार की ओर से वन्नियार समुदाय को दिए गए 10.5 फीसदी आरक्षण का कोई आधार नहीं बनता है। हाई कोर्ट की पीठ ने कहा था कि, यह आरक्षण देने के लिए ऐ्सा कोई डेटा नहीं है, जो यह साबित करता हो कि वन्नियार समुदाय अति पिछड़े वर्ग में हैं। हाई कोर्ट के आदेश के बाद तमिलनाडु सरकार ने और पीएमके ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
विधानसभा में हुआ था पारित
गौरतलब है कि तमिलनाडु विधानसभा ने पिछले साल फरवरी में वन्नियार समुदाय को 10.5 फीसदी आरक्षण देने के तत्कालीन सत्तारूढ़ अन्ना द्रमुक द्वारा पेश किए विधेयक को पारित कर दिया था। मौजूदा द्रमुक सरकार ने इसके क्रियान्वयन के लिए जुलाई 2021 में एक आदेश पारित किया। उसने एमबीसी को दिए कुल 20 प्रतिशत आरक्षण को विभाजित कर दिया था और जातियों को फिर से समूहों में बांटकर तीन अलग श्रेणियों में विभाजित किया तथा वन्नियार को 10 प्रतिशत उप-आरक्षण मुहैया कराया था। वन्नियार को पहले वन्नियाकुल क्षत्रिय के नाम से जाना जाता था।
