सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शैक्षणिक सत्र 2020-21 के मेडिकल, स्नातकोत्तर और डेन्टल पाठ्यक्रमों के लिए अखिल भारतीय कोटे में राज्य द्वारा छोड़ी गयी मेडिकल सीटों में से 50 प्रतिशत कोटा देने का तमिलनाडु सरकार और अन्नाद्रमुक का अनुरोध ठुकरा दिया। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की 3 सदस्यीय पीठ ने वर्तमान शैक्षणिक सत्र के दौरान 50 प्रतिशत कोटा लागू करने के लिए अंतरिम आग्रह के आवेदन खारिज कर दिए।
तमिलनाडु सरकार और अन्नाद्रमुक ने मद्रास हाई कोर्ट के 27 जुलाई के आदेश को सिर्फ उस बिन्दु पर चुनौती दी थी, जिसमें उसने अखिल भारतीय कोटा के तहत मेडिकल सीटें गैर केंद्रीय संस्थानों में ओबीसी के लिए आरक्षित करने की अनुमति दे दी थी और केंद्र को इसके प्रतिशत के बारे में निर्णय के लिए 3 महीने का समय दिया था।
राज्य सरकार और सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक ने सिर्फ इसी बिंदु पर राहत का अनुरोध करते हुए कहा था कि हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि ओबीसी कोटा इसी सत्र में लागू किया जाना चाहिए। इस मामले में केंद्र ने दलील दी कि चालू शैक्षणिक सत्र में 50 प्रतिशत कोटा लागू करना व्यावहारिक नहीं होगा।
हाई कोर्ट ने कहा था कि मेडिकल, पीजी और डेन्टल पाठ्यक्रमों में अखिल भारतीय कोटे में छोड़ी गई सीटों में से आरक्षण का लाभ तमिलनाडु के भीतर ही ओबीसी को देने में सैद्धांतिक और संवैधानिक दृष्टि से कोई बाधा नहीं है, बशर्ते इसमें सुप्रीम कोर्ट की कोई अन्य शर्त नहीं हो।