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चुनाव हिंसा : पश्चिम बंगाल से पलायन रोकने की याचिका पर SC ने केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की वजह से राज्य से लोगों के कथित पलायन को रोकने के अनुरोध वाली याचिका पर मंगलवार को केंद्र और पश्चिम बंगाल से जवाब मांगा।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र से उस जनहित याचिका पर जवाब की मांग की है, जिसमें राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर एसआईटी जांच की मांग की गई थी। साथ ही, इस याचिका में टीएमसी कार्यकर्ताओं द्वारा कथित रूप से की गई हिंसा के चलते आंतरिक रूप से विस्थापित लाखों लोगों को तत्काल राहत पहुंचाने की भी बात कही गई थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पिंकी आनंद ने न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की पीठ के समक्ष अपना पक्ष रखा कि विभिन्न मानवाधिकार आयोगों ने इस हिंसा पर रिपोर्ट की है और कोर्ट से इन रिपोटरें पर गौर फरमाने का आग्रह किया है।
पिंकी आनंद ने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग ने विस्थापित महिलाओं की मदद की है। उन्होंने इन संगठनों के खिलाफ अभियोग चलाए जाने की भी मांग की। आनंद के अनुरोध पर पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता अरुण मुखर्जी और चार अन्य द्वारा दायर जनहित याचिका में एनएचआरसी और राष्ट्रीय महिला आयोग को लेकर एक पक्ष बनाने को कहा। पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई के लिए जून की तारीख तय की।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से राज्य में राजनीतिक हिंसा और लक्षित हत्याओं की घटनाओं की जांच करने और मामला दर्ज करने के लिए एक एसआईटी गठित करने का आग्रह किया गया था। दलील में कहा गया, “राज्य प्रायोजित हिंसा के कारण पश्चिम बंगाल में लोगों के पलायन ने उनके अस्तित्व से संबंधित गंभीर मानवीय मुद्दों को जन्म दिया है, जहां वे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के साथ दयनीय परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर हैं।”

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