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बाघजन तेल कुएं में आग लगाने की घटना पर SC ने समिति गठित करने के अधिकरण के फैसले पर लगाई रोक

कोर्ट ने घटना में संबंधित व्यक्तियों की नाकामियों के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराने के वास्ते छह सदस्यीय नयी समिति गठित करने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश पर रोक लगा दी।

असम के बाघजन तेल के कुएं में आग लगने की घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया। कोर्ट ने घटना में संबंधित व्यक्तियों की नाकामियों के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराने के वास्ते छह सदस्यीय नयी समिति गठित करने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश पर रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूंड और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने इसके साथ ही वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, पेट्रोलियम मंत्रालय, ओआईएल इंडिया और अन्य को नोटिस जारी करके उन्हें याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अधिकरण के आदेश पर अचरज व्यक्त करते हुए कहा कि ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) पर वेटलैंड को प्रदूषित करने के आरोप हैं, लेकिन उसने कंपनी के प्रबंधन निदेशक को जांच समिति का सदस्य बनाया गया है।
पीठ ने कहा,‘‘जिस प्रकार से एनजीटी ने इस मुद्दे को अपने हाथ से जाने दिया है, हम उस तरीके से बेहद निराश हैं। यह राष्ट्रीय अधिकरण है। इसे ऐसा नहीं करना चाहिए।’’ सुप्रीम कोर्ट ने 19 फरवरी के अधिकरण के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि ओआईएल असम के बाघजन तेल कुएं में आग लगने की घटना का दोषारोपण ठेकेदार पर करके और संबंधित व्यक्तियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए छह सदस्यीय नयी समिति का गठन करके अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड सकता ।
न्यायालय अधिकरण के 19 फरवरी के आदेश को चुनौती देने वाली अधिकार कार्यकर्ता बोनानी कक्कड़ की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। गौरतलब है कि पिछले वर्ष नौ जून को तिनसुकिया जिले के बाघजन में कुआं नबंर पांच में अनियंत्रित तरीके से गैस निकल रही थी और फिर इसने आग पकड़ ली थी। इस घटना में ओआईएल के दो दमकल कर्मियों की मौत हो गई थी।
एनजीटी अध्यक्ष ए के गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि ‘‘प्रथम दृष्टया’’ वह सहमत है कि सुरक्षा एहतियात बरतने में ओआईएल नाकाम रही और यह सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है कि दोबारा ऐसी घटनाएं ना हों। पीठ ने कहा, ‘‘हम पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी को डीजी हाइड्रोकार्बन और डीजी खान सुरक्षा, डीजी तेल उद्योग सुरक्षा और पीईएसओ (पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन), विस्फोटक के मुख्य नियंत्रक, नयी दिल्ली के साथ तीन महीने के भीतर इस पहलू पर गौर करने का निर्देश देते हैं।’’
पीठ ने कहा कि यह समिति स्थिति की समीक्षा करेगी और घटना में संबंधित लोगों की नाकामियों के लिए जिम्मेदारी तय करने समेत समाधान के लिए उपयुक्त कदम का निर्देश देगी। एनजीटी ने 24 जून 2020 को मामले पर गौर करने और एक रिपोर्ट सौंपने के लिए उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति बी पी कटाके की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था।

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