मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को विधानसभा में बहुमत हासिल करने का निर्देश देने वाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होनी है। यह याचिका पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। भाजपा को उम्मीद है कि कर्नाटक की कहानी मध्य प्रदेश में दोहराई जाएगी। वहीं बीते दिन मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर आज फ्लोर टेस्ट कराने को कहा।
जिसके बाद मुख्यमंत्री राजभवन पहुंचे। राज्यपाल से मिलने के बाद कमलनाथ बाहर आए और कहा कि हमारे पास बहुमत है। मुझे फ्लोर टेस्ट क्यों करना। उधर फ्लोर टेस्ट को लेकर सोमवार को भोपाल में सुबह से रात तक काफी गहमागहमी रही। सुबह विधानसभा की कार्यवाही राज्यपाल के भाषण से हुई। राज्यपाल के एक मिनट भाषण देने के बाद स्पीकर ने 26 मार्च तक कोरोना के नाम पर विधानसभा स्थगित कर दी। जिसके बाद भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। साथ ही सभी 106 बीजेपी विधायकों की राजभवन में परेड कराई।
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शाम होते होते राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को लेटर लिखकर फ्लोर टेस्ट कराने को कहा और रात होते-होते कमलनाथ राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुचे। वहीं भाजपा ने यह भी कहना शुरू कर दिया कि कमलनाथ सरकार के पास अल्पमत है इसलिए वे फ्लोर टेस्ट से भाग रहे है। भाजपा की तरफ से दायर याचिका में यह आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री अपनी अल्पमत सरकार को बहुमत में तब्दील करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
याचिका में यह भी कहा गया कि कमलनाथ सरकार विधायकों को धमकी देने और प्रलोभन देने जैसे काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि फ्लोर टेस्ट टालता है और उसमे देरी होती है तो कमलनाथ सरकार के खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा।