सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पश्चिम बंगाल बीजेपी में शामिल होने वाली पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष को उनके खिलाफ दर्ज सभी मामलों में गिरफ्तारी से मंगलवार को संरक्षण प्रदान कर दिया। न्यायमूर्ति ए के सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि भारती घोष के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। कोर्ट ने इसके साथ ही मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के लिये स्थगित कर दी।
एक समय तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी की काफी नजदीक समझी जाने वाली भारती घोष ने गिरफ्तारी से संरक्षण का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने उसके खिलाफ अब तक 10 प्राथमिकी दर्ज की हैं। उन्होंने याचिका में कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही उन्हें सात मामलों में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान कर चुकी है परंतु राज्य सरकार ने अब उसके खिलाफ तीस नये मामले दर्ज किये हैं।
पश्चिम बंगाल सरकार ने भारती घोष की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उसके खिलाफ स्पष्ट साक्ष्य हैं। राज्य सरकार ने इस संबंध में भारती घोष और उनके निजी सुरक्षा अधिकारी के बीच हुई बातचीत का विवरण भी पेश किया। सुप्रीम कोर्ट एक अक्टूबर, 2018 को भारती घोष को कथित रूप से प्रतिबंधित मुद्रा के बदले गैरकानूनी तरीके से सोना प्राप्त करने और उगाही के मामले में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था।
इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान घोष के वकील ने कहा था कि उनके खिलाफ 2016 के एक मामले के संबंध में सात प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं। उनका कहना था कि पुलिस उनके मुवक्किल के खिलाफ अलग अलग स्थानों पर कार्रवाई कर रही है। इसलिए उसे कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोका जाए।
हालांकि, राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि वह याचिका के आधार पर गिरफ्तारी पर रोक चाहती हैं जो नहीं किया जा सकता। सिब्बल का कहना था कि भारती घोष को पिछले साल अक्टूबर में पहले ही गिरफ्तारी से संरक्षण मिला हुआ है।
पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष चार फरवरी को केन्द्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद और वरिष्ठ नेता विजयवर्गीय की उपस्थिति में बीजेपी में शामिल हो गयी थीं और उन्होंने आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल में ‘डेमोक्रेसी’ का स्थान ‘ठगोक्रेसी’ ने ले लिया है।