हरिद्वार/रायवाला, संजय चौहान, चित्रवीर (पंजाब केसरी): शनिवार सुबह 8:15 बजे करीब चीला शक्ति नहर से एसडीआरएफ की टीम ने अंकिता भंडारी का शव बरामद कर लिया है। जिसकी शिनाख्त के लिए अंकिता भंडारी के परिजनों को शिनाख्त के लिए मौके पर बुलाया गया और परिजनों ने शव की पहचान अंकिता भण्डारी के रूप में की है।एसडीआरएफ की टीम के इंचार्ज निरीक्षक कविन्द्र सजवाण ने बताया कि टीम द्वारा लगातार शुक्रवार से चीला नदी में सर्च ऑपरेशन चलाया गया था। जिसके परिणाम स्वरूप अंकिता भंडारी के शव को चीला नदी से बरामद कर लिया गया है।
आपको बताते चलें कि अंकिता भंडारी 18 सितंबर की रात्रि से गंगा भोगपुर तल्ला स्थित वनन्त्रा रिजॉर्ट से गुमशुदा चल रही थी। शुक्रवार को पुलिस ने घटना का खुलासा करते हुए रिसोर्ट के मालिक पुलकित आर्य, मैनेजर सौरव भास्कर व अंकित गुप्ता को अंकिता की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया है। अभियुक्तों ने अंकिता की हत्या की नियत से चीला शक्ति नहर में धक्का दे कर हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया था। जिसके बाद लक्ष्मण झूला पुलिस व एसदीआरएफ की टीम शक्ति नहर से शव बरामद करने को लेकर लगातार शर्च अभियान चलाए हुए थी। हत्या काण्ड पर कार्यवाही करते हुए अंकिता भंडारी से जुड़े वनन्त्रा रिजॉर्ट में बुलडोजर चला कर आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया गया है। घटना में तत्परता दिखाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की एसआईटी जांच के आदेश कर दिए हैं।
गौरतलब है कि जिन हत्यारों ने अंकिता भंडारी को को उपभोग की वस्तु समझा ,वे पुलिस रिमांड में हैंभाजपा के प्रभावशाली पुत्र ने गंगा किनारे बने अपने रिजॉर्ट की रिशेप्सनिस्ट उन्नीस वर्षीय अंकिता के साथ जो किया वह उत्तराखंड की इस देवभूमि को शर्मसार करने वाला हैअफसोस कि दो बच्चों के पिता पुलकित के कारनामों पर उसके पिता विनोद आर्य बचपन से परदे डालते रहे और सत्तारूढ़ दल से जुड़े होने का लाभ उठाते रहे ।
मुख्यमंत्री के आदेश पर बीती आधी रात उसका पूरा रिजॉर्ट बुलडोजर लगाकर ध्वस्त कर दिया गया और क्रुद्ध भीड़ ने रिजॉर्ट के एक हिस्से में आग भी लगा दी,सवाल यह है कि बाइस साल पहले यूपी से अलगकर देवभूमि के नाम से प्रचारित उत्तराखंड की यह दुर्गति क्यों हो गईइस तीर्थाटन प्रदेश को जंगल काट काट कर गंगा किनारे बनाए गए सैकड़ों रिजॉट्स से क्यों आच्छादित कर दिया गया। गंगा के तट तो साधना और तपस्या के रास्ते ज्ञान अर्जित करने लिए आरक्षित थे।गंगा से 200 मीटर दूर तक कोई भी भवन बनाना कानूनी मना था। फिर क्यों इस पूरे राज्य को सुख साधन केंद्रों और अय्याशी के अड्डों में बदल दिया गया।
गंगा के समानांतर शराब की नदियां किसने बहाई देवभूमि को थाइलैंड और मलेशिया बनाने के ख्वाबों से बाहर आइए।गंगा और बद्री केदार कि इस पुण्यस्थली की रक्षा का दायित्व प्रधानमंत्री स्वयं अपने हाथों में लेंयहां के साधुसंत और राजनीति तो पहले ही वैभवशाली अट्टालिकाओं में ऐश्वर्य भोग रहे हैंदरिंदों द्वारा गंगा में फेंक दी गई अंकिता की पीड़ा चीख चीखकर कह रही है कि भोग विलास में डुबोई जा रही इस देवभूमि को बचाने का आखिरी समय अब आ गया है।