महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल विस्तार से पहले शिवसेना ने सोमवार को कहा कि वरिष्ठ और पुराने नेता युवा नेताओं के लिए मंत्री पद छोड़ने को राजी नहीं हैं। उसने कहा कि पुराने नेताओं को इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि उनके बिना सरकार का काम नहीं चलेगा।
मुखपत्र सामना के संपादकीय में दल ने किसी का भी नाम लिए बना कहा, “सरकार के अन्य विभाग भी महत्वपूर्ण होते हैं लेकिन ‘मलाईदार’ अथवा ‘वजनदार’ विभाग चाहिए, ऐसी एक भावना कुछ वर्षों से बलवती होती जा रही है। इस मानसिकता से बाहर निकलना अनिवार्य है। जिन्हें लगता है कि मलाईदार समझे जानेवाले विभागों से ही देश की अथवा जनता की सेवा की जा सकती है उनकी नीयत साफ नहीं है।”
इसमें, मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण, राकांपा के अजित पवार को मंत्री पद का दावेदार बताया। राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद हो सकता है। शीतकालीन सत्र सोमवार से नागपुर में शुरू हो रहा है, यह 21 दिसंबर को खत्म होगा।
संपादकीय में इस बात पर अचंभा जताया गया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने चलन के अनुसार महत्वपूर्ण गृह मंत्रालय अपने पास नहीं रखा। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह विभाग अपने पास ही रखा था। संपादकीय में लिखा, “कैबिनेट विस्तार और विभागों के बंटवारे के दौरान अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण को समाहित करते समय कसरत करनी पड़ेगी। राष्ट्रवादी के पास अजीत पवार, दिलीप वलसे-पाटील, राजेश टोपे, डॉ. शिंगणे, नवाब मलिक, माणिक कोकाटे ऐसे भारी लोग कतार में खड़े हैं।”
इसमें आगे लिखा, “शिवसेना को भी पुराने प्रसिद्ध व नए युवाओं में से मोहरों को चुनना होगा। महाराष्ट्र की राजनीति में अब तरो-ताजा चेहरे आएं, ऐसी अपेक्षा है। पका हुआ मुरब्बा और अचार खाने में ही अच्छे लगते हैं। पुराने दूल्हे मनोरंजन के लिए ही अच्छे हैं, ऐसी लोगों की सोच है। परंतु युवाओं के लिए कुर्सी छोड़ने को पुराने तैयार नहीं हैं। हम नहीं होंगे तो महाराष्ट्र को अथवा सरकार को अड़चन आएगी। इस भ्रम से इन लोगों को बाहर निकलना चाहिए। श्री फडणवीस गए। उसकी वजह से भी न राज्य का कुछ रुका न मंत्रालय का कुछ रुका। दुनिया का चलना जारी ही है।”
पार्टी ने कहा, “मदद, पुनर्वास, आईटी, कौशल विकास, स्कूली शिक्षा, स्वास्थ्य ऐसे विभागों को हाथ लगाने को कोई तैयार नहीं है। ऐसा पूछा जाता है कि ये क्या कोई विभाग हैं?” इसमें कहा गया कि मुख्यमंत्री ने अपने पास ज्यादा कुछ नहीं रखा है और विभागों का बंटवारा उदारता के साथ किया है।