गुजरात विधानसभा चुनाव के बीच अहमदाबाद में जामा मस्जिद के शाही इमाम शब्बीर अहमद सिद्दीकी के बयान से विवाद खड़ा हो गया है। इमाम ने मुस्लिम महिलाओं के राजनीति में भाग लेने को गलत ठहराया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को चुनावी टिकट देने वाले इस्लाम के खिलाफ हैं। इससे वे धर्म को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।
इस्लाम में औरत का एक मकाम है
इमाम सिद्दीकी ने आगे कहा कि नमाज के दौरान एक भी औरत आपको नजर नहीं आई होगी। इस्लाम में सबसे ज्यादा अहमियत नमाज की होती है। अगर औरतों का इस तरह से लोगों के सामने आना जायज होता तो उन्हें मस्जिद से नहीं रोका जाता। मस्जिद से रोक दिया गया, क्योंकि इस्लाम में औरत का एक मकाम है।
क्या कोई आदमी नहीं बचा है?
उन्होंने आगे कहा कि जो लोग मुस्लिम महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारते हैं वे इस्लाम से बगावत करते हैं। क्या कोई आदमी नहीं बचा है? हमारे मजहब में पुरुषों की कोई कमी नहीं है। इससे पहले इमाम ने कहा था कि मुस्लिमों के वोटों में बटवारे के चलते साल 2012 में अहमदाबाद की जमालपुरा सीट पर भी भाजपा ने कब्जा कर लिया था। इस बार एकजुट होकर वोट करना है। मुस्लिम उसी को जिताएं, जो उनके हक के लिए काम करता हो।
AAP पर भी निशाना साधा
इससे पहले गुजरात में मुस्लिम वोटों को लेकर उन्होंने कहा था कि राज्य के मुसलमानों और गुजरात में किसी तीसरी पार्टी के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा था कि पहले भी लोग आएं हैं पर चले नहीं। ऐसे में अगर किसी तीसरी पार्टी के चक्कर में आपने कांग्रेस से अदावत ले ली तो ये ठीक नहीं है, भाजपा से तो पहले से ही है।