माकपा ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाये जाने संबंधी संसद में पेश सत्तापक्ष के प्रस्ताव पर गृह मंत्री अमित शाह के वक्तव्य को राज्य के लोगों में अलगाववाद की भावना बढ़ाने वाला बताते हुये केन्द्र सरकार से मांग की है कि राज्य में शांति बहाली के लिये सभी पक्षकारों से बातचीत शुरु कर यथाशीघ्र विधानसभा चुनाव कराये जायें।
माकपा पोलित ब्यूरो की ओर से शनिवार जारी बयान के अनुसार लोकसभा में सत्तापक्ष के प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुये शाह ने जो वक्तव्य दिया उससे न सिर्फ वहां के लोगों में अलगाव बढ़ेगा बल्कि यह देश की एकता और अखंडता के लिये भी उचित नहीं है।
पोलित ब्यूरो ने कहा कि राज्य के लोगों में अलगाववाद की भावना से आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगाा जिसे परास्त करने के लिये पूरा देश एकजुट है। पार्टी ने शाह के रवैये को देश की एकता और अखंडता के लिये अनुचित बताया।
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह महीने के लिये बढ़़ाने वाले प्रस्ताव पर शुक्रवार को लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुये शाह ने राज्य में अलगाववादी ताकतों को प्रश्रय देने वाले तत्वों को संदेश में कहा था कि ऐसे लोगों को भय और आतंक का रास्ता छोड़ना ही होगा। सरकार इसके लिये कोई भी कारगर कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी।
पोलित ब्यूरो ने कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव कराने के लिये उपयुक्त माहौल था तो फिर एक समान परिस्थितियों में विधानसभा चुनाव कराने से रोकने वाली दलील समझ से परे है। पार्टी ने कहा कि सभी राजनीतिक दल जम्मू कश्मीर में तत्काल विधानसभा चुनाव कराने की मांग करते हुये कह चुके हैं कि राज्य में जनता की भागीदारी से होने वाले चुनाव ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली को सुनिश्चित करने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।
पोलित ब्यूरो ने शाह की बतौर गृह मंत्री, पहली जम्मू कश्मीर यात्रा के दौरान किसी राजनीतिक दल के नेता से मुलाकात नहीं करने पर भी आपत्ति व्यक्त करते हुये केन्द्र सरकार अपने पूर्व आश्वासन के मुताबिक राज्य में सभी पक्षकारों से राजनीतिक स्तर पर बातचीत शुरु करने की मांग की। पार्टी ने इसके साथ जम्मू कश्मीर विधानसभा के चुनाव भी यथाशीघ्र कराने का सरकार से अनुरोध किया।