आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बीते दिन एक कार्यक्रम में जाति व्यवस्था को लेकर कई बड़े बयान दिए थे, जिसपर अब विवाद शुरू होने लगा है। आरएसएस प्रमुख का कहना था की वर्ण और जातिव्यवस्था एक पुरानी सोच थी अब इसे भूल जाना चाहिए और हमे एक नई सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि अपनी गलती मानने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। अब भागवत के इस बयान पर शरद पवार ने पलटवार किया है।
शरद पवार ने मोहन भागवत को दिया जवाब
दरअसल, एनसीपी प्रमुख इन दिनों नागपुर दौरे पर है, जहां उन्स उनसे इस बात को लेकर सवाल कर लिया गया तो उन्होंने कहा, 'सिर्फ माफ़ी मांगने से कुछ नहीं होता है। उनका ये सोचना सही है कि इससे समाज में भेदभाव की भावना पैदा होती है। इसलिए हमे इसे त्याग देना चाहिए। हमारे यहां एक बड़े वर्ग का काफी वक्त तक शोषण किया जाता रहा है। इन बातों का अहसास होना सही है, लेकिन माफ़ी मांगने के बजाय इसे ठीक करना चाहिए।'
जयंत पाटिल ने भागवत पर बोला हमला
वही, उन्होंने आगे कहा कि हमें ये सभी बाते अपने व्यवहार में भी दिखानी चाहिए। लेकिन लोग इस बात को अपने व्यवहार में नहीं दिखाते है। जबकि इस बारे में एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने अलग विचार रखे है। उनका कहना है कि जैसे ही चुनाव आते है। इन सब पर बात होने लगती है और चुनाव के खत्म होते ही सब ठंडे बस्ते में चला जाता है। इसलिए इन सब बातों का फायदा नहीं है।
मोहन भागवत ने दिया था ये बयान
हम आपको बता दें, कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा था कि , 'हमें जाति व्यवस्था की अवधारणा को भूल जाना चाहिए। ये पुरानी बात हो गई है। आज के समय में ऐसे हिन्दू समाज की जरूरत है, जो किसी को धमकी न दे और ना वो किसी के धमकी में आए। संघ के लोग आपसी भाईचारे, मेल-जोल और शांति के पक्ष में खड़ा होने का प्रण लेते है। जो भी भेदभाव का कारण बने, उसे खत्म कर दो।