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किसान आंदोलन को गंभीरता से लेकर गतिरोध समाप्त करे केंद्र, प्रदर्शन दिल्ली तक नहीं रहेगा सीमित : शरद पवार

पवार ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के किसानों का देश की कृषि एवं खाद्य श्रृंखला में सर्वाधिक योगदान है। उन्होंने कहा, ‘‘इन राज्यों के किसान न सिर्फ हमारा पेट भरते हैं, बल्कि वे भारत की खाद्य अनाज आपूर्ति, खासकर एक दर्जन से अधिक देशों को चावल और गेहूं की आपूर्ति में बड़े आपूर्तिकर्ता भी हैं।’’

राकांपा प्रमुख शरद पवार ने रविवार को केंद्र से कहा कि वह किसानों के प्रदर्शन को गंभीरता से ले क्योंकि यदि गतिरोध जारी रहता है तो आंदोलन केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देशभर से लोग कृषकों के साथ खड़े हो जाएंगे। पवार ने यहां संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि जब किसान सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं तो इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो रहा है। मुझे उम्मीद है कि सरकार को अक्ल आएगी और वह मुद्दे के समाधान के लिए इसका संज्ञान लेगी। यदि यह गतिरोध जारी रहता है तो प्रदर्शन दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देशभर से लोग प्रदर्शनकारी किसानों के साथ खड़े हो जाएंगे।’’ उल्लेखनीय है कि नए कृषि कानूनों के विरोध में हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं और उन्होंने आठ दिसंबर को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है।
किसानों और केंद्र के बीच कई दौर की वार्ता के बावजूद मुद्दे का हल नहीं हो पाया है। पवार ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के किसानों का देश की कृषि एवं खाद्य श्रृंखला में सर्वाधिक योगदान है। उन्होंने कहा, ‘‘इन राज्यों के किसान न सिर्फ हमारा पेट भरते हैं, बल्कि वे भारत की खाद्य अनाज आपूर्ति, खासकर एक दर्जन से अधिक देशों को चावल और गेहूं की आपूर्ति में बड़े आपूर्तिकर्ता भी हैं।’’
पवार ने कहा कि जब तीनों कृषि विधेयक संसद में लाए गए तब भाजपा को छोड़कर सभी दलों ने कहा था कि विधेयकों को जल्दबाजी में पारित नहीं किया जाना चाहिए। पार्टियों ने विधेयकों पर चर्चा कराने और इन्हें प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने नहीं सुनी और अब उसे परिणाम भुगतने होंगे।

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