शिवसेना ने कोरोना वायरस (कोविड-19) वैश्विक महामारी फैलने के बीच दिल्ली के निजामुद्दीन में धार्मिक सभा आयोजित किए जाने को ‘अमानवीय’ कृत्य बताया और इसके आयोजकों की कड़ी निंदा की। राष्ट्रीय राजधानी के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के मुख्यालय में विदेशों और देशभर के राज्यों से आए लोगों ने शिरकत की थी और यह देश में कोविड-19 फैलने का मुख्य स्रोत बन गया है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में छपे संपादकीय में कहा कि ‘‘इन लोगों ने इस्लाम के नाम पर इस प्रकार की सभा करके कौन सी धार्मिक और राष्ट्रीय सेवा की है? दरअसल यह अमानवीय और हानिकारक है।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘इस्लामी देशों में मस्जिदें बंद कर दी गई हैं और लोगों को घरों में रहकर नमाज अदा करने को कहा गया है। मक्का और मदीना में भी बंद लागू है।’’ संपादकीय में कहा गया है कि इस समारोह ने देश में कोरोना वायरस को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।
इसमें कहा गया है कि ‘‘इस कार्यक्रम में देशभर के 22 राज्यों और आठ अन्य देशों से पांच हजार से अधिक लोग शामिल हुए। इन 5,000 लोगों में से दो हजार विदेशी नागरिक थे।’’ मराठी समाचार पत्र ने कहा‘‘इन लोगों में से 380 संक्रमित पाए गए हैं। यह ऐसी लापरवाही है जिसे माफ नहीं किया जा सकता। यह कट्टरपंथियों के अहम को दर्शाती है।’’ संपादकीय में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस ने कहा कि उन्होंने आयोजकों से सभा रोकने को कहा था। दूसरी ओर, आयोजकों ने कहा है कि पुलिस और प्रशासन ने सभा में शामिल होने आए लोगों को बंद के दौरान बाहर जाने के लिए पास नहीं दिए।
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सामना में कहा गया है कि‘‘सच्चाई तो यही दोनों जानते हैं, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद पुलिस ने जिस प्रकार शाहीन बाग प्रदर्शन स्थल को खाली कराया, उसी प्रकार इस समारोह को भी बल प्रयोग से रोका जा सकता था।’’ संपादकीय में कहा गया है, ‘‘यह धर्म का नहीं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य का मामला हैं। मुस्लिम समुदाय भी इस कदम की सराहना करता। बंद का उल्लंघन करना अन्य लोगों के जीवन से खेलना है।’’ समाचार पत्र में कहा गया है कि यह मामला उन लोगों के लिए मुद्दा बन गया है जो हिंदू-मुसलमान की राजनीति करना चाहते हैं।