महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच अक्सर तनाव देखा जाता है। वहीं महाराष्ट्र में धार्मिक स्थान को खोलने को लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे आमने-सामने हैं। इस बीच शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि “आजकल पूरे देश में दो ही (जगह) राज्यपाल हैं, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र। बाकी कहां राज्यपाल है या नहीं मुझे पता नहीं।”
उन्होंने कहा कि राज्यपाल भारत सरकार और राष्ट्रपति के राजनीतिक एजेंट होते हैं। ऐसा इसलिए कि वे राजनीतिक काम करते हैं। शिवसेना ने कहा कि पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में ही सिर्फ राज्यपाल हैं क्योंकि यहां विरोधियों की सरकारें हैं। उन्होंने कहा कि हमने कभी राज्यपाल को वापस बुलाने का नहीं कहा, लेकिन केंद्र में यदि यूपीए (UPA) की सरकार होती और उनके राज्यपाल इस तरह का व्यवहार करते तो भाजपा जरूर कहती कि राज्यपाल को वापस बुलाया जाए।
बता दें कि शिवसेना ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राजभवन की ‘प्रतिष्ठता’ बरकरार रखना चाहते हैं तो महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को वापस बुला लेना चाहिए। पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे एक संपादकीय में 78 वर्षीय कोश्यारी पर जोरदार हमला बोला। राज्यपाल ने प्रार्थना स्थलों को खोलने को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा था और पूछा था कि क्या शिवसेना नेता ‘अचानक से धर्मनिरपेक्ष’ हो गए हैं।
संपादकीय में कहा गया है कि इस मुद्दे पर भाजपा का ‘पर्दाफाश’ हो गया। उसमें कहा गया है कि राज्यपाल के सहारे महाराष्ट्र सरकार पर हमला करना विपक्षी पार्टी को महंगा पड़ गया। लेख में कहा गया है कि कोविड-19 के सुरक्षा प्रोटोकॉल के कड़ाई से पालन के साथ रेस्तरां खोले गए हैं लेकिन, मंदिर खोलने पर भीड़ होगी। अगर भाजपा चाहती है कि मंदिर फिर से खोले जाएं तो इसके लिए एक राष्ट्रीय नीति होनी चाहिए।