महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा को लेकर हुए विवाद पर शिवसेना ने बड़ा बयान दिया है। शिवसेना का कहना है कि महा विकास अघाड़ी सरकार को हटाने की अपनी हताशा में बीजेपी ने राणा दंपति का इस्तेमाल करते हुए इस पूरे विवाद को अंजाम दिया। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में ये आरोप लगाए।
सामना में कहा गया कि, “हिंदुत्व के नाम पर बीजेपी की ओर से किए गए हंगामे का समर्थन नहीं किया जा सकता। उन्होंने (एमपी-एमएलए) राणा दंपत्ति का इस्तेमाल करके मुंबई की शांति भंग करने की योजना बनाई थी और सब कुछ उनके इशारे पर हुआ। इससे शिवसेना कार्यकर्ता नाराज हो गए और दंपति को अपने घर से बाहर कदम रखने की अनुमति नहीं दी गई।”
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नवनीत राणा और रवि राणा को फटकार लगाते हुए सामना में लिखा गया, “इस जोड़े की वैचारिक संबद्धता पर कोई आश्वासन नहीं है। सांसद नवनीत राणा ने संसद में भगवान राम के नाम पर शपथ लेने वाले सांसदों का विरोध किया था। यह हैरान करने वाला है कि आज बीजेपी ‘हनुमान चालीसा’ और हिन्दुत्व के अन्य मुद्दों पर ऐसे सांसद के इशारे पर नाच रही है।”
चुनाव के लिए राणा ने हासिल किया फर्जी जाति प्रमाण पत्र
सामना में आगे कहा गया, “आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के लिए राणा दंपति ने नकली जाति प्रमाण पत्र बनवाया था। श्रीमती राणा ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर अमरावती से लोकसभा चुनाव लड़ा। नवनीत कौर राणा और उनके पिता हरभजन सिंह कुंडलेस ने जाति प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा किए। अमरावती लोकसभा एक आरक्षित सीट है और उसी से चुनाव लड़ने के लिए राणा ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र हासिल किया।”
क्या, और क्यों हुआ विवाद?
राणा दंपति ने शनिवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास ‘मातोश्री’ के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने की बात कही थी, जिससे शिवसेना के कार्यकर्ता बेहद आक्रोशित हो गए थे और उन्होंने राणा के आवास के आगे विरोध प्रदर्शन किया था।
मुंबई पुलिस ने राणा दंपति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है और बाद में उसमें राजद्रोह का आरोप भी जोड़ दिया। रविवार को मुंबई की एक अदालत ने राणा दंपति को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इसके बाद रविवार देर रात अमरावती से सांसद नवनीत राणा को भायखला महिला कारावास ले जाया गया था।
राणा दंपति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा- 153 ए (अलग-अलग समुदायों के बीच धर्म, भाषा आदि के नाम पर विद्वेष उत्पन्न करना) और मुंबई पुलिस अधिनियम की धारा-135 (पुलिस द्वारा लागू निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने) का मामला दर्ज किया गया। अधिकारी ने बताया कि बाद में राणा दंपति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में धारा 353 (सरकारी अधिकारी को कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए आपराधिक बल के इस्तेमाल या हमला करना) जोड़ी गई है।