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शिवसेना ने कांग्रेस की पुरानी खटिया से की तुलना, BJP बोली- इन्हें कोरोना की फिक्र नहीं, बल्कि कुर्सी की चिंता

सामना में कहा गया, राज्य के मामले में मुख्यमंत्री का ही फैसला आखिरी होता है, ऐसा तय होने के बाद कोई और सवाल नहीं रह जाता। शरद पवार ने खुद इसका पालन किया है।

महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में लगातार अनबन कि खबरें सामने आ रही है। शिवसेना ने मुखपत्र सामना में मंगलवार को कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा है। शिवसेना ने कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट और अशोक चव्हाण के हालिया बयानों को लेकर कहा, ‘खटिया क्यों चरमरा रही है?’ वहीं शिवसेना के इस हमले को लपकते हुए बीजेपी ने महाराष्ट्र सरकार को निशाने पर लिया।
शिवसेना ने ‘सामना’ में अशोक चव्हाण और बालासाहेब थोराट के बयानों का जिक्र करते हुए लिखा है कि दोनों मंत्री मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात कहने वाले हैं। मुख्यमंत्री उनकी बात सुनेंगे और फैसला लेंगे। लेकिन कांग्रेस कहना क्या चाहती है? राजनीति की पुरानी खटिया कुरकुर की आवाज कर रही है? 

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सामना में कहा गया, ‘राज्य के मामले में मुख्यमंत्री का फैसला ही आखिरी होता है, ऐसा तय होने के बाद कोई और सवाल नहीं रह जाता। शरद पवार ने खुद इसका पालन किया है। समय-समय पर मुख्यमंत्री से मिलते रहते हैं और सुझाव देते हैं। उनका अनुभव शानदार है।’ 
कांग्रेस पार्टी भी अच्छा काम कर रही है, लेकिन समय-समय पर पुरानी खटिया रह-रहकर कुरकुर की आवाज करती है। खटिया पुरानी है लेकिन इसकी एक ऐतिहासिक विरासत है। मुख्यमंत्री ठाकरे को आघाड़ी सरकार में ऐसी कुरकुराहट को सहन करने की तैयारी रखनी चाहिए। इसमें आगे लिखा गया कि उद्धव ठाकरे ऐसे नेता नहीं हैं, जो सत्ता के लिए कुछ भी करेंगे। हर किसी के गले में मंत्री पद का हार है। यह नहीं भुलाया जा सकता है कि इसमें शिवसेना का त्याग भी महत्वपूर्ण है। 
इस पूरे प्रकरण पर बीजेपी के प्रवक्ता राम कदम ने मंगलवार को कहा कि इन्हें (सरकार) महाराष्ट्र में कोरोना की वजह से जान गंवाते लोगों की फिक्र नहीं है, बल्कि कुर्सी की चिंता है। यह भी सोचने वाली बात है कि इतनी बेइज्जती के बाद क्या कांग्रेस और एनसीपी में कोई आत्मसम्मान बचा है? 

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