मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के 13 घंटे बाद, शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष की अनुपस्थिति में मंगलवार को राज्य विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया । अब 6 महीने के अंदर प्रदेश उपचुनाव में कमल को खिलाना एक बड़ी चुनौती होगी। 25 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिनमें से 10 सीटें बीजेपी को जीतना हर हाल में जरूरी है।
इससे पहले, मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार की रात 9 बजे राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। कमलनाथ की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के गिरने के कुछ दिनों बाद शिवराज सिंह ने चौथी बार मंत्री पद की शपथ ली। चौहान इससे पहले तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। शपथ लेने के बाद से ही सीएम शिवराज तुरंत सक्रीय हो गए हैं। मुख्यमंत्री का पद संभालते ही शिवराज ने विधानसभा का चार दिन का विशेष सत्र बुलाया है, जो 24 मार्च से 27 मार्च तक चलेगा।
चार दिन के विशेष सत्र के पहले दिन साल 2020-21 के लिए लेखानुदान भी प्रस्तुत किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार विधानसभा के चार दिवसीय विशेष सत्र में सदन की कुल तीन बैठकें भी होंगी। सदन में राज्यपाल के अभिभाषण के बाद शिवराज सिंह चौहान बहुमत साबित किया और फिर आगे की कार्रवाई शुरू हुई। शपथ लेने के बाद से ही सीएम शिवराज राज्य हित को लेकर सक्रीय हो गए हैं।
देश में कोरोना वायरस के 492 पॉजिटिव मामलों की पुष्टि, 10 लोगों की अबतक मौत
देश में तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस के संक्रमण के बढ़ते मामलों के तरफ शिवराज ने अपना ध्यान केंद्रित किया है । मध्यप्रदेश में अब तक इस वायरस से संक्रमित होने के कुल 7 मामले सामने आए है। वहीं, करीब 36 से ज्यादा जिलों को पूरी तरह से लॉकडाउन कर दिया गया है। बता दें कि कमलनाथ द्वारा 20 मार्च को इस्तीफा सौंपे जाने के बाद से भाजपा में सरकार गठन की कवायद चल रही थी।
पार्टी के निर्देश पर सोमवार को शाम छह बजे विधायक दल की बैठक हुई। उसके बाद सर्वसम्मति से चौहान को नेता चुना गया। शिवराज सिंह इससे पहले तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे पहली बार वह 29 नवंबर 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे, इसके बाद वह 12 दिसंबर 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, फिर आठ दिसंबर 2013 में तीसरी बार शपथ ली थी।