मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार एक बार फिर कांग्रेस के निशाने पर है। कांग्रेस ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज ने कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर में आपदा को अवसर में बदलने का गंभीर आरोप लगाया। कांग्रेस ने शिवराज सरकार को घेरते हुए कहा कि पीपीई किट खरीद मामले में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है और दक्षिण कोरिया की कंपनी से घटिया क्लाविटी की किट खरीदी गई।
कांग्रेस के मुताबिक पीपीई किट की आपूर्ति करने वाली कंपनी को आईसीएमआर ने नॉन एप्रूव्ड सूची में डाल रखा है, यही कारण है कि इस किट से हुई जांच का ब्योरा आईसीएमआर के पोर्टल पर दर्ज नहीं है। कांग्रेस कमेटी के प्रदेशाध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने बताया, शिवराज सरकार ने इस कोरोना महामारी में भी आपदा में अवसर तलाशे हैं। कोरोना महामारी के नाम पर इलाज और सामान खरीदी में जमकर भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं।
कांग्रेस के मुताबिक पीपीई किट की आपूर्ति करने वाली कंपनी को आईसीएमआर ने नॉन एप्रूव्ड सूची में डाल रखा है, यही कारण है कि इस किट से हुई जांच का ब्योरा आईसीएमआर के पोर्टल पर दर्ज नहीं है। कांग्रेस कमेटी के प्रदेशाध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने बताया, शिवराज सरकार ने इस कोरोना महामारी में भी आपदा में अवसर तलाशे हैं। कोरोना महामारी के नाम पर इलाज और सामान खरीदी में जमकर भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं।
पीपीई किट से लेकर मास्क खरीदी, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीनें, वेंटिलेटर, जीवन रक्षक इंजेक्शनो की खरीदी में भी भ्रष्टाचार हुआ हैं। अब ताजा मामला दक्षिण कोरिया की कंपनी की बायोक्रेडिट कोविड-19 एजी का है जिससे हुई 15 लाख रैपिड टेस्ट किट खरीदी में फजीर्वाडा और भ्रष्टाचार हुआ है।
सलूजा का आरोप है किदक्षिण कोरिया की कंपनी की यह किट मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेज ने गुड़गांव की इंपीरियल लाइफ साइंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से 7.18 करोड़ में खरीदी है। आश्चर्यजनक बात है कि यह खरीदी इसी वर्ष 2021 में मई-जून माह में की गई ,जब कोरोना की दूसरी लहर प्रदेश में चरम पर थी। इस किट की खरीदी 47 रुपये 87 पैसे प्रति किट के हिसाब से 7.18 करोड रुपए में की गई।
सलूजा का दावा है कि आईसीएमआर ने इस किट को नॉन अप्रूव्ड वाली सूची में डाल रखा है। इस वजह से इस किट से होने वाली जांच आईसीएमआर के पोर्टल पर दर्ज भी नहीं हो रही है, क्योंकि पोर्टल पर यह किट रजिस्टर्ड नहीं है। उसके बावजूद भी इस किट को खरीदा गया। इससे समझा जा सकता है कि इस किट की खरीदी के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हुआ।
उन्होने आगे कहा कि भोपाल के सीएमएचओ ने खुद चिटठी लिखकर इसे निम्न गुणवत्ता वाली और घटिया किट बताते हुए इस पर सवाल उठाये है। इस किट के कारण कोरोना के वास्तविक रोगियों का आंकलन नहीं हो पा रहा है। जो लक्षण वाले पॉजिटिव मरीज है, यह किट उनकी रिपोर्ट भी नेगेटिव बता रही है। सलूजा ने बताया कि कांग्रेस की शिवराज सरकार से मांग है कि इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और खुलासा होने पर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।
सलूजा का आरोप है किदक्षिण कोरिया की कंपनी की यह किट मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेज ने गुड़गांव की इंपीरियल लाइफ साइंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से 7.18 करोड़ में खरीदी है। आश्चर्यजनक बात है कि यह खरीदी इसी वर्ष 2021 में मई-जून माह में की गई ,जब कोरोना की दूसरी लहर प्रदेश में चरम पर थी। इस किट की खरीदी 47 रुपये 87 पैसे प्रति किट के हिसाब से 7.18 करोड रुपए में की गई।
सलूजा का दावा है कि आईसीएमआर ने इस किट को नॉन अप्रूव्ड वाली सूची में डाल रखा है। इस वजह से इस किट से होने वाली जांच आईसीएमआर के पोर्टल पर दर्ज भी नहीं हो रही है, क्योंकि पोर्टल पर यह किट रजिस्टर्ड नहीं है। उसके बावजूद भी इस किट को खरीदा गया। इससे समझा जा सकता है कि इस किट की खरीदी के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हुआ।
उन्होने आगे कहा कि भोपाल के सीएमएचओ ने खुद चिटठी लिखकर इसे निम्न गुणवत्ता वाली और घटिया किट बताते हुए इस पर सवाल उठाये है। इस किट के कारण कोरोना के वास्तविक रोगियों का आंकलन नहीं हो पा रहा है। जो लक्षण वाले पॉजिटिव मरीज है, यह किट उनकी रिपोर्ट भी नेगेटिव बता रही है। सलूजा ने बताया कि कांग्रेस की शिवराज सरकार से मांग है कि इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और खुलासा होने पर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।