राजनीति के चुनावी रण में राजनीतिक दल द्वारा जुबानी तीखे तीरो के प्रहार अपने विरोधीओ एक के बाद एक छोड़े जाते है।कर्नाटक चुनाव में देश की न.1 और न. 2 की पार्टी भाजपा और कांग्रेस के बीच गहमा -गहमी देखने को मिली। एक कहावत बहुत ही प्रसिद है कमान से निकला तीर और जुबान से निकला शब्द वापिस नहीं होता। मामला और भी गंभीर जब हो जाता है जिस समय आप कोई बात लिखित में देते है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई मौकों पर कही गई बातों का पालन करेंगे
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने सोमवार को कहा कि पार्टी किसी को विशेष रूप से लक्षित नहीं कर रही है, और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार “घृणा की राजनीति” में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी के घोषणापत्र में कर्नाटक की तर्ज पर ‘बजरंग दल’ का उल्लेख किया जाएगा। नाथ ने यहां भोपाल में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई मौकों पर कही गई बातों का पालन करेंगे, जो नफरत की राजनीति करने वाले व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए है।
सीएम शिवराज सिंह चौहान शिलान्यास मंत्री
हम किसी को निशाना नहीं बना रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “अगर किसी को लगता है कि उसे निशाना बनाया जा रहा है, तो इसका मतलब है कि वे ऐसी चीजों में लिप्त हैं। अगर लोग बजरंग दल के बारे में पूछ रहे हैं, तो इसका मतलब है कि वे खुद स्वीकार करते हैं कि संगठन इसमें (घृणा की राजनीति) शामिल है। पूर्व सीएम ने मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान पर भी कटाक्ष करते हुए कहा,’मुख्यमंत्री’ होने के साथ-साथ वह ‘शिलान्यास मंत्री’ भी हैं … अपनी जेब में नारियल रखते हैं।विशेष रूप से, कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक में अपने घोषणापत्र में प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और दक्षिणपंथी संगठन बजरंग दल जैसे संगठनों के खिलाफ “कड़ी कार्रवाई” करने का उल्लेख किया था। इसने हंगामा खड़ा कर दिया और पार्टी को भारतीय जनता पार्टी और अन्य संगठनों से प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा।