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जज की हत्या मामले में SIT करेगी जांच, HC ने झारखंड में कानून-व्यवस्था की स्थिति को बताया ‘बदतर’

झारखंड हाई कोर्ट ने न्यायाधीश की मौत की जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का आदेश दिया और कहा है कि जांच की निगरानी हाई कोर्ट करेगा।

झारखंड के धनबाद में जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की कथित तौर पर की गई हत्या पर हाई कोर्ट ने क्षोभ व्यक्त करते हुए इसे राज्य की कानून-व्यवस्था की विफलता बताया। साथ ही हाई कोर्ट ने न्यायाधीश की मौत की जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का आदेश दिया और कहा है कि जांच की निगरानी हाई कोर्ट करेगा।
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रविरंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बुधवार को धनबाद के अष्टम जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की और उनकी संदिग्ध मौत पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया। कोर्ट ने इस घटना को राज्य की कानून- व्यवस्था की विफलता बताते हुए कहा, ‘‘राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बदतर हो गयी है।’’
हाई कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) संजय लाटकर के नेतृत्व में विशेष जांच गठित करने और मामले की तेजी से जांच कराने का राज्य सरकार को आदेश दिया। कोर्ट ने टिप्पणी की, ‘‘राज्य में कानून- व्यवस्था की स्थिति बदतर हो गई है, कुछ दिनों पहले पुलिसकर्मी रूपा तिर्की, फिर एक वकील और अब न्यायाधीश पर हमला किया गया।’’

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कोर्ट ने चेतावनी भरे स्वर में कहा, ‘‘यदि किसी भी समय पीठ को ऐसा प्रतीत हुआ कि जांच सही दिशा में नहीं है तो इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जाएगी।’’ कोर्ट के निर्देश पर आज मामले की सुनवाई के दौरान राज्य के पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा एवं धनबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार ऑनलाइन उपस्थित थे।
इससे पूर्व सुनवाई के दौरान पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वह पेशेवर तरीके से मामले की जांच सुनिश्चित करेंगे और उन्होंने एसआईटी का नेतृत्व करने के लिए राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संजय लाटकर का नाम सुझाया, जिस पर कोर्ट ने अपनी सहमति प्रदान कर दी।
हाई कोर्ट इस बात से भी काफी नाराज था कि घटना के बाद एफआईआर दर्ज करने में पुलिस ने देरी की है। कोर्ट ने यहां तक कहा, ‘‘पहले राज्य नक्सलियों के लिए जाना जाता था लेकिन उस दौरान भी किसी न्यायिक अधिकारी पर हमला नहीं हुआ था।’’ सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस घटना के बाद उन्हें देश के विभिन्न कोनों से इस मामले को लेकर प्रतिक्रिया मिली है। उन्होंने कहा, ‘‘स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने मुद्दे पर मुझसे बातचीत की है इसलिए मुझे भरोसा है कि इस मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से की जाएगी।’’
पीठ ने धनबाद के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पत्र पर संज्ञान लेते हुए याचिका में बदलाव भी करने के निर्देश दिए। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह भी दिल्ली से ऑनलाइन उपस्थित हुए और उन्होंने बताया कि इस मुद्दे को आज उन्होंने भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण के सामने उठाया है। वह इस मामले में हाई कोर्ट की भी पूरी तरह से मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना न्यायिक व्यवस्था पर हमले की तरह है। इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

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