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सोलापुर के टीचर को ग्लोबल टीचर प्राइज, इनाम राशि का 50 प्रतिशत सहयोगी शिक्षकों के साथ करेंगे साझा

रंजीत सिंह दिसाले ने ईनाम में मिली राशि का 50 प्रतिशत हिस्सा अंतिम दौर तक पहुंचने वाले नौ अन्य शिक्षकों के साथ बांटने की घोषणा की है।

भारत के एक प्राइमरी स्कूल के टीचर ने 10 लाख डॉलर (7,38,50,150 रुपये) का वार्षिक ग्लोबल टीचर प्राइज, 2020 जीता है। महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के पारितेवादी गांव के 32 साल के रंजीत सिंह दिसाले अंतिम दौर में पहुंचे दस प्रतिभागियों में विजेता बनकर उभरे हैं। वारके फाउंडेशन ने असाधारण शिक्षक को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पुरस्कृत करने उद्देश्य से 2014 में यह पुरस्कार शुरू किया। 
रंजीत सिंह दिसाले ने ईनाम में मिली राशि का 50 प्रतिशत हिस्सा अंतिम दौर तक पहुंचने वाले नौ अन्य शिक्षकों के साथ बांटने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि बाकी 50 प्रतिशत राशि का इस्तेमाल वे एक फंड बनाने के लिए करेंगे जिसका उपयोग उन शिक्षकों की मदद के लिए होगा जो अच्छा काम कर रहे हैं। कोरोना के मद्देनजर यह समारोह वर्चुअल तौर पर आयोजित किया गया था।
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यूनेस्को और लंदन स्थित वार्की फाउंडेशन द्वारा दिए जाने वाले वार्षिक ग्लोबल टीचर प्राइज की घोषणा गुरुवार 3 दिसंबर को हुई।सोलापुर जिले के परितेवाडी जिला परिषद स्कूल के टीचर रणजितसिंह डिसले ने यह पुरस्कार जीत लिया। लंदन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में संपन्न हुए समारोह में सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता स्टीफन फ्राय इस पुरस्कार की घोषणा की।
दरअसल जब दिसाले 2009 में सोलापुर के पारितवादी के जिला परिषद प्राथमिक विद्यालय पहुंचे थे तब वहां स्कूल भवन जर्जर दशा में था तथा ऐसा लग रहा था कि वह पशुओं की रहने की जगह और स्टोररूम के बीच का स्थान है। उन्होंने चीजें बदलने का जिम्मा उठाया और यह सुनिश्चित किया कि विद्यार्थियों के लिए स्थानीय भाषाओं में किताबें उपलब्ध हो। 

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उन्होंने न केवल किताबों का विद्यार्थियों की मातृभाषा में अनुवाद किया जबकि उसमें विशिष्ट क्यूआर कोड की व्यवस्था की ताकि छात्र-छात्राएं ऑडियो कविताएं और वीडियो लेक्चर एवं कहानियां तथा गृहकार्य पा सकें। उनके प्रयास का फल यह हुआ कि तब से गांव में किशोरावस्था में ब्याहे जाने की घटना सामने नहीं आयी और विद्यालयों में लड़कियों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित हुई। 
दिसाले महाराष्ट्र में क्यूआर कोड शुरू करने वाले पहले व्यक्ति बने और प्रस्ताव सौंपे जाने एवं प्रायोगिक योजना की सफलता के बाद राज्य मंत्रिमंडल ने 2017 में घोषणा की कि वह सभी श्रेणियों के लिए राज्य में क्यूआर कोड किताबें शुरू करेंगी। 2018 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने घोषणा की कि राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों में भी क्यूआर कोड होंगे। 

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