तृणमूल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दिल्ली में पश्चिम बंगाल नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी के साथ उनकी बैठक को लेकर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को पद से हटाने की मांग की। वहीं तुषार मेहता ने इस आरोप को ख़ारिज करते हुए मुलाकात होने से इनकार किया है।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद डेरेक ओ ब्रायन, सुखेंदु शेखर रॉय और महुआ मोइत्रा ने कहा कि शुभेंदु अधिकारी और विधि अधिकारी के बीच यह कथित मुलाकात ‘‘उचित नहीं हैं’’ क्योंकि भाजपा विधायक नारद और शारदा मामलों में आरोपी हैं और इन मामलों की जांच चल रही है।
विधि अधिकारी मेहता ने बताया, ‘‘शुभेंदु अधिकारी बिना किसी पूर्व जानकारी के बृहस्पतिवार दिन में करीब तीन बजे मेरे आवास सह कार्यालय पहुंचे। चूंकि अपने कक्ष में मैं पहले से निर्धारित बैठकों में व्यस्त था तो मेरे कर्मचारी ने उन्हें मेरे कार्यालय के प्रतीक्षा कक्ष में इंतजार करने का अनुरोध किया और उन्हें चाय पिलायी।’’
उन्होंने बताया, ‘‘जब मेरी बैठक खत्म हुई और मेरे कर्मचारी ने मुझे उनके आने की सूचना दी तो मैंने अपने कर्मचारी से अनुरोध किया कि वह अधिकारी से कह दें कि मैं उनसे मिलने में असमर्थ हूं और इतनी देर इंतजार करने के लिए माफी चाहता हूं। अधिकारी ने मेरे कर्मचारी का शुक्रिया अदा किया और वहां से चले गए। अधिकारी से मुलाकात का सवाल ही नहीं उठता।’’ पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता अधिकारी ने भी बैठक से इनकार करते हुए कहा था कि वह हाल ही में राज्य में ‘चुनाव के बाद की हिंसा’ से संबंधित एक मामले को लेकर दिल्ली में मेहता के आवास पर गए थे लेकिन ‘‘उनसे नहीं मिल सके।’’
टीएमसी सांसदों ने दावा किया कि अधिकारी नारद स्टिंग ऑपरेशन और शारदा घोटाले से संबंधित धोखाधड़ी, रिश्वत और अवैध रिश्वत के विभिन्न मामलों में आरोपी हैं। टीएमसी सांसदों ने पत्र में कहा, ‘‘अधिकारी और सॉलिसिटर जनरल के बीच बैठक न केवल अनुचित है, बल्कि हितों का सीधा टकराव है और देश के दूसरे सर्वोच्च कानून अधिकारी, सॉलिसिटर जनरल की प्रतिष्ठा को भी कलंकित करता है।’’