पटना : 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार की सभी पार्टियां तैयारी में जुट गई हैं। इस कड़ी में बोधगया में जहां बीजेपी के प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हो रही है वहीं पटना में भी RJD की अहम बैठक बुलाई है। बैठक में सीट शेयरिंग से लेकर कई अहम मुद्दों पर चर्चा हो रही है। बैठक की अध्यक्षता राबड़ी देवी कर रही हैं। इसमें लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति तैयार करने के साथ ही गठबंधन पर भी चर्चा की जा रही है। RJD की बैठक में राबड़ी देवी ने कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव के लिए हम पूरी तरह तैयार हैं। देश में पूरा महागठबंधन तैयार है। सभी विपक्षी दल एकजुट हैं।
RJD की बैठक में तेजस्वी यादव ने कहा कि लालू प्रसाद जी को जल्द न्याय मिलेगा। एससी-एसटी एक्ट से कोई छेडछाड़ न हो, सवर्णों का भारत बंद भाजपा-आरएसएस का एजेंडा था। एससी-एसटी एक्ट को 9वीं अनुसूची से दूर रखा गया। केंद्र सरकार आरक्षण को चतुराई से समाप्त करना चाहती है। पिछड़ा-दलितों में फूट डालने की कोशिश हो रही है। बता दें कि राष्ट्रीय जनता दल (RJD ) आर्थिक आधार पर गरीब सवर्णों के आरक्षण को लेकर फिर से दुविधा में है। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने गरीब सवर्णों के लिए 10 फीसद आरक्षण का पक्ष लिया था। बदले हालात में आरक्षण एवं SC-ST एक्ट के मसले पर केंद्र सरकार की किरकिरी का अनुमान लगाते हुए राजद लोकसभा चुनाव में भाजपा को घेरने के लिए इसे मुद्दा बनाने के पक्ष में तो है किंतु साथ ही इसे बर्रे का छत्ता भी मान रहा है।
लोकसभा चुनाव की रणनीतियां तय करने के लिए राजद ने मंगलवार को शीर्ष स्तर की बैठक बुलाई है, जिसमें केंद्र की भाजपा सरकार के साढ़े चार साल के कार्यों की समीक्षा करते हुए महागठबंधन के लिए मुद्दे तय किए जाएंगे। प्रत्यक्ष तौर पर बैठक में बूथ लेबल एजेंटों की नियुक्ति और रघुवंश प्रसाद सिंह के नेतृत्व में बनी संघर्ष समिति के लिए एजेंडा तय करना है, लेकिन परोक्ष रूप से तेजस्वी यादव अपने थिंक टैंक से जानने की कोशिश करेंगे कि आरक्षण एवं एससी-एसटी एक्ट के मुद्दे पर भाजपा के खिलाफ सवर्णों के गुस्से को राजद किस तरह भुनाए।
ज्वलंत मुद्दों पर पार्टी की लाइन तय करने की जिम्मेवारी राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी, जगदानंद सिंह और मंगनीलाल मंडल को दी गई है। शिवानंद तिवारी के मुताबिक एससी-एसटी एक्ट में संशोधन करके भाजपा ने अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मारी है। इसका सबसे ज्यादा विरोध भाजपा के कोर वोटर ही कर रहे हैं। आरक्षण के बारे में भाजपा नेताओं के उलझे बयानों ने भी उसके वोट बैंक को गहरा प्रभावित किया है। ऐसे में भाजपा विरोधी दलों का अपना स्टैंड तय करना वक्त की मांग है। कांग्रेस ने गरीब सवर्णों को भी 10 फीसद आरक्षण का पक्ष लिया है। राजद को भी अपनी लाइन साफ करनी है। इतना साफ है कि हम जल्दीबाजी में कोई निर्णय नहीं लेने जा रहे।