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अतिक्रमण हटाओ अभियान पर मोहर

दून की सड़कों पर से अतिक्रमण हटाने का निर्णय लिया तो भीतर से एक डर भी बैठ गया था कि निकाय चुनाव में इसके विपरीत परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

देहरादून : हाईकोर्ट के आदेश पर जब सरकार ने दून की सड़कों पर से अतिक्रमण हटाने का निर्णय लिया तो भीतर से एक डर भी बैठ गया था कि निकाय चुनाव में इसके विपरीत परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इसके विपरीत जनता ने सरकार को सकारात्मक जवाब दिया। दून के मुख्य मार्गों से हाईकोर्ट के निर्देश पर अतिक्रमण हटाया गया तो एक बार सरकार को अपनों से ही विरोध झेलना पड़ा। कांग्रेस और भाजपा के तमाम नेताओं ने इसका विरोध करते हुए लोगों की सहानुभूति बटोरने की भी कोशिश की।

खासकर कांग्रेस ने अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया का विरोध करते हुए अपना हित साधने की भी कोशिश की। निकाय चुनाव में जब लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया तो परिणाम के साथ उनका जवाब भी मिल गया। जनता ने सरकार के कदम का स्वागत करते हुए भाजपा प्रत्याशियों को अपना बहुमत दिया। निकाय चुनाव के नतीजों से यह भी स्पष्ट हो गया कि अतिक्रमण की ढाल बनकर नेतागण चंद लोगों के वोट तो झटक सकते हैं, लेकिन इससे बहुमत नहीं प्राप्त किया जा सकता है।

सीधे शब्दों में कहें तो अतिक्रमण हटने से पूरे शहर की राह सुगम होती है और जो भी सरकार ऐसा करने का साहस दिखाएगी, लोग उसके साथ होंगे। दून निगम में शामिल किए गए नए क्षेत्र चुनाव के लिहाज से भाजपा के लिए काफी फायदेमंद रहे। खासकर, ग्रामीण बाहुल्य क्षेत्रों के अधिकांश वार्डों में न केवल भाजपा के पार्षद विजयी रहे, बल्कि महापौर के लिए भी इन क्षेत्रों में भाजपा को अच्छी-खासी बढ़त मिली। शुरू से ग्रामीण क्षेत्रों को निगम में शामिल करने का विरोध कर रहे कांग्रेस को इन क्षेत्रों में काफी नुकसान उठाना पड़ा।

गढ़वाली मतदाता बाहुल्य नथुवाला, नकरौंदा, बालावाला, हर्रावाला, नत्थनपुर प्रथम, नत्थनपुर द्वितीय, आरकेडिया प्रथम, द्वितीय चंद्रबनी, बंजारावाला, केदारपुर, चकतुनावाला, रायपुर, ननूखेड़ा, धौरणखास, सालावाला, नेहरूग्राम में न केवल भाजपा के पार्षद प्रत्याशी विजयी रहे, बल्कि यहां महापौर पद पर भी सुनील उनियाल गामा ने अच्छी खासी बढ़त हासिल कर विजय प्राप्त की।

– सुनील तलवाड़

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