हरिद्वार : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की टीम ने नमामि गंगे के कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया। टीम ने गंगा को निर्मल बनाने के काम में तेजी लाने का अधिकारियों को निर्देश दिए। सराय में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के ट्रंचिंग ग्राउंड में कूड़े के ढेर लगे होने पर नाराजगी जताई और सराय के 20 एमएलडी के सीवर शोधन संयंत्र (एसटीपी) को एक महीने में चालू करने का निर्देश दिए।
टीम ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के कार्यों, एसटीपी, नालों, होटल, आश्रम, धर्मशालाओं और औद्योगिक इकाइयों के संयंत्रों की जांच पड़ताल समय-समय पर करते रहने का निर्देश दिया है। एनजीटी की ओर से नियुक्त तीन सदस्यीय टीम में इलाहाबाद हाईकोर्ट सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अरुण टंडन, नैनीताल हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी और अनीता राय शनिवार को हरिद्वार पहुंची थी।
उन्होंने सिडकुल स्थित हिंदुस्तान लीवर के ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया और बरसात में उसकी क्षमता देखने के लिए पीसीबी के अधिकारी को निर्देश दिया। सराय में नमामि गंगे से निर्मित सीवर शोधन संयंत्र को देखा और एक महीने में चालू करने का निर्देश परियोजना अधिकारी को दिया।
प्लांट का संचालन कर रहे केआरएल के अधिकारियों ने टीम को बताया कि प्लांट चालू हो गया है और छह महीने के अंदर समस्त कूड़े का निस्तारण दिया जाएगा। वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. कैलाश गुंज्याल ने एनजीटी की टीम से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट परियोजना का रुका हुआ नौ करोड़ रुपये दिलवाने का अनुरोध किया।
एनजीटी की टीम ने कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के प्रेमनगर आश्रम की सीवर व्यवस्था देखी, होटल क्रिस्टल गंगा के बायो जायजेस्टर सिस्टम को देखा, भूपतवाला लोकनाथ नाला देखने के बाद जगजीतपुर जाकर अनुरक्षण इकाई जल संस्थान के 27 व 18 एमएलडी के सीवर शोधन प्लांट (एसटीपी) का भी निरीक्षण किया। इस मौके पर निर्माण एवं अनुरक्षण इकाई (गंगा) के परियोजना प्रबंधक आरके जैन, अनुरक्षण इकाई जल संस्थान के अधिशासी अभियंता अजय कुमार आदि मौजूद थे।