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दिल्ली में सुलह के प्रयास के बीच उत्तराखंड में आपस में भिड़े हरीश रावत और प्रीतम सिंह के समर्थक

हरीश रावत को लेकर प्रदेश महामंत्री राजेंद्र शाह ने अभद्र टिप्पणी। इसपर रावत के समर्थक कार्यकर्ताओं ने राजेंश शाही के साथ मारपीट शुरू कर दी।

उत्तराखंड कांग्रेस में जारी घमासान को लेकर दिल्ली में जारी प्रयास के बीच देहरादून में हरीश रावत और प्रीतम सिंह ग्रुप के समर्थकों के बीच मारपीट हो गई। आरोप है कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत को लेकर प्रदेश महामंत्री राजेंद्र शाह ने अभद्र टिप्पणी। इसपर रावत के समर्थक कार्यकर्ताओं ने राजेंश शाही के साथ मारपीट शुरू कर दी।
प्रदेश कांग्रेस भवन में मारपीट और हंगामा का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। हरीश रावत के ट्वीट के बाद पार्टी आलाकमान डैमेज कंट्रोल में जुटी हुई है। रावत का शुक्रवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने का कार्यक्रम है और वह राष्ट्रीय राजधानी पहुंच गए हैं लेकिन बैठक से पहले मीडिया से बात करने से परहेज कर रहे हैं।
रावत के किस Tweet पर छिड़ा विवाद?
रावत ने बुधवार को ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, कहा था कि ‘यह आराम करने का समय है, यह काफी हो गया है।’ “क्या यह अजीब नहीं है? जब हमें चुनाव के समुद्र में तैरना है, तो पार्टी संगठन को समर्थन का हाथ बढ़ाना चाहिए, बल्कि उन्होंने इससे मुंह मोड़ लिया है और नकारात्मक भूमिका निभा रहे हैं। मुझे समुद्र में तैरना है जहां सत्ताधारी दल ने कई मगरमच्छों को छोड़ा है और मेरे हाथ-पैर बंधे हुए हैं।”
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “कभी-कभी ऐसा लगता है कि मैंने बहुत काम किया है और अब आराम करने का समय है। मैं दुविधा में हूं, नया साल मुझे रास्ता दिखा सकता है और भगवान केदारनाथ मुझे रास्ता दिखाएंगे।” सूत्रों के मुताबिक, रावत टिकट बंटवारे को लेकर खफा हैं और पार्टी मामलों पर अपनी बात रखना चाहते हैं। कांग्रेस ने रावत को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, जो उनके समर्थकों की प्रमुख मांग है।
उत्तराखंड कांग्रेस गुटबाजी से घिरी हुई है, जिसमें एक गुट का नेतृत्व प्रीतम सिंह कर रहे हैं, जबकि हरीश रावत खेमे के अलावा राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का अपना गुट है। प्रीतम सिंह और उपाध्याय के नेतृत्व वाले रावत विरोधी खेमे ने पार्टी नेतृत्व से चुनाव से पहले सीएम चेहरे की घोषणा नहीं करने को कहा है और इससे रावत नाराज हैं। वह टिकट वितरण में अपना उचित हिस्सा चाहते हैं।

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