मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की याचिका पर 26 मार्च को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर सकता है। परमबीर सिंह की याचिका में महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ पुलिस विभाग के माध्यम से “धन वसूली” मामले में सीबीआई जांच की मांग की गई है। अपनी दलील में, अपने तबादले को दुर्भावनापूर्ण बताते हुए परमबीर सिंह ने कहा है कि उन्होंने जैसे ही अनिल देशमुख की भ्रष्ट नीतियों के बारे में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और अन्य वरिष्ठ नेताओं को बताया तो उनका तबादला कर दिया गया।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में परमबीर सिंह की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी पैरवी कर सकते हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक सुनवाई की तारीख तय नहीं की है। बताते चलें कि मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से ट्रांसफर के बाद परमबीर सिंह ने चिट्ठी लिखकर सियासी घमासान पैदा कर दिया है उनकी इस चिट्ठी को लेटर बम कि संज्ञा दी जा रही है। उन्होंने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि देशमुख ने सचिन वाझे से हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने अपील की है कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के घर के सीसीटीवी कैमरे की जांच होनी चाहिए ताकि सारा सच सबके सामने आ जाए। परमबीर सिंह को हाल ही में मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद से हटा दिया गया और डीजी होमगार्ड्स के पद पर भेजा गया था। इसी के बाद परमबीर सिंह की एक चिट्ठी सामने आई जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सचिन वझे को घर बुलाकर उनसे हर महीने मुंबई के रेस्तरां, होटल वगैरह से 100 करोड़ रुपये की उगाही को कहा था। सचिन वाझे और मनसुख हिरेन मौत मामले में मुख्य आरोपी हैं।