भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन के जासूसी मामले में सीबीआई जांच होगी। सुप्रीम कोर्ट ने आज इसरो के 1994 जासूसी मामले में गलती करने वाले पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर उच्च-स्तरीय समिति द्वारा दाखिल रिपोर्ट पर विचार करने संबंधी केंद्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
कोर्ट ने जांच एजेंसी को तीन महीने का समय दिया है। इन तीन महीने के अंदर सीबीआई को अपनी जांच पूरी करके सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट देनी होगी। न्यायमूर्ति ए. एम. खानविल्कर की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र की अर्जी और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश (अवकाश प्राप्त) डी. के. जैन की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय पैनल की रिपोर्ट पर विचार किया और सीबीआई जांच के आदेश दिए।
केंद्र ने पांच अप्रैल को कोर्ट में अर्जी देकर मामले को राष्ट्रीय मुद्दा बताते हुए पैनल की रिपोर्ट पर तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने आज न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) डी.के. जैन की रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के निदेशक अथवा कार्यवाहक निदेशक को आदेश दिया कि जैन समिति की रिपोर्ट को प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के रूप में माने और जांच आगे बढ़ाए।
गौरतलब है कि 1994 जासूसी मामले से वैज्ञानिक नंबी नारायणन ना सिर्फ बरी हो चुके हैं बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को मुआवजे के रूप में उन्हें 50 लाख रुपये देने को भी कहा है। तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले एयरोस्पेस इंजीनियर नंबी नारायणन इसरो के सायरोजेनिक्स विभाग के प्रमुख थे, जब वो एक जासूसी कांड में फंसे। नवंबर 1994 में नंबी नारायणन पर आरोप लगा था कि उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़ी कुछ गोपनीय सूचनाएं विदेशी एजेंटों से साझा की थीं।