सुप्रीम कोर्ट द्रमुक की उस नई याचिका पर बुधवार को सुनवाई करने के लिए राजी हो गया जिसमें आरोप लगाया गया है कि तमिलनाडु राज्य निर्वाचन आयोग ने राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों में महिलाओं और एससी/एसटी उम्मीदवारों को आरक्षण 1991 की जनगणना के अनुसार देने का फैसला किया है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को द्रमुक की ओर से पेश वरिष्ठ वकली ए एम सिंघवी की याचिका पर संज्ञान लिया। याचिका में कहा गया है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने स्थानीय चुनावों में आरक्षण कानूनन अनिवार्य 2011 की जनगणना के बजाय 1991 की जनगणना के आधार पर देने का निर्णय लिया।
द्रमुक ने अपनी नई याचिका में चुनाव आयोग की सात नवंबर को जारी की गई अधिसूचना को चुनौती दी है। यह याचिका वकील अमित आनंद तिवारी की ओर से दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु निर्वाचन कार्यालय को नौ नये जिलों में स्थानीय निकाय चुनाव स्थगित करने का निर्देश दिया था।